मां बनने के अनुभव को सबसे खूबसूरत बताया जाता है. लेकिन कोई भी इस दौरान एक मां को होने वाली समस्याओं के बारे में कोई बात नहीं करता है. वास्तव में मां बनना एक प्यार से भरे इमोशन के अलावा भी बहुत कुछ है. यह शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से काफी चुनौतीपूर्ण भी होता है.


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डिलीवरी के बाद 6 महीने तक का समय, जिसे हम "प्रसूति पश्चात" (Postpartum) कहते हैं, मां के लिए शारीरिक बदलावों और भावनात्मक उथल पुथल से भरा दौर होता है. इस दौरान एक मां को बच्चे की जिम्मेदारी के साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं का भी सामना करना पड़ता है. यहां आप ऐसे 5 सबसे कॉमन परेशानियों के बारे में जान सकते हैं.


पोस्टपार्टम डिप्रेशन

यह शायद सबसे आम और गंभीर समस्या है. कई नई माताओं को प्रसव के बाद कुछ हफ्तों या महीनों में उदासी, चिंता, थकान और निराशा जैसे भावनाओं का अनुभव होता है. यह सिर्फ थकान या रात में नींद न पूरी होने के कारण नहीं होता, बल्कि हार्मोनल बदलावों और तनाव के चलते भी हो सकता है. यदि आप लगातार उदास रहती हैं, किसी भी काम में मन नहीं लगता, या खुद को या बच्चे को नुकसान पहुंचाने के ख्याल आते हैं, तो डॉक्टर से जरूर बात करें.

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बाल झड़ना


प्रसव के बाद कई महिलाओं को बालों का झड़ना या पतला होना का सामना करना पड़ता है. यह आमतौर पर हार्मोनल बदलावों के कारण होता है और कुछ महीनों में अपने आप ठीक हो जाता है. संतुलित आहार और बालों की उचित देखभाल से इस समस्या को कम किया जा सकता है.


सेक्सुअल हेल्थ में बदलाव

डिलीवरी के बाद कई महिलाएं सेक्सुअली कई तरह की परेशानियों का सामना करती हैं. इसमें सेक्स करने की इच्छा में कमी, सेक्स के दौरान दर्द, यूरिन लीकेज जैसी समस्याएं शामिल है. हालांकि ज्यादातर मामलों में कुछ समय बाद यह प्रॉब्लम अपने आप ही नॉर्मल हो जाती है.


पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर

प्रसव के दौरान पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती हैं, जिससे पेशाब का रिसाव या मल त्याग करने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. केगेल व्यायाम पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं.


स्तन में दर्द और संक्रमण

स्तनपान कराने वाली माताओं को अक्सर स्तन में दर्द या संक्रमण का सामना करना पड़ सकता है. सही तरीके से स्तनपान कराने और स्तनों की सफाई पर ध्यान देने से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है.


ध्यान देने योग्य बातें-

डिलीवरी के बाद देखभाल उतनी ही जरूरी होती है जितनी प्रेगनेंसी के दौरान. डॉक्टर से नियमित रूप से जांच कराएं और किसी भी तरह की समस्या होने पर उन्हें जरूर बताएं. अपने साथी और परिवार से मदद लें. पर्याप्त आराम करें और स्वस्थ भोजन खाएं.  याद रखें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखकर ही आप अपने बच्चे को बेहतर तरीके संभाल पाएंगी. 

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