ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ब्रेन स्वेलिंग निपाह वायरस के खिलाफ एक एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की घोषणा की है. निपाह वायरस भारत के केरल राज्य और एशिया के अन्य हिस्सों में कई बार प्रकोप फैला चुका है. इस घातक वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है.


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निपाह वायरस की पहचान पहली बार लगभग 25 साल पहले मलेशिया में हुई थी और इसके बाद बांग्लादेश, भारत और सिंगापुर में इसके प्रकोप देखे गए हैं. ऑक्सफोर्ड के ट्रायल में पहले प्रतिभागियों को पिछले हफ्ते वैक्सीन की डोज दी गई है. यह एक्टिवाक्सो वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जिसका इस्तेमाल एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के कोरोना वैक्सीन में भी किया गया था.


51 रोगियों पर ट्रायल
यूनिवर्सिटी के पैनडेमिक साइंसेज इंस्टीट्यूट के प्रवक्ता ने बताया कि यह 51 रोगी शुरुआती चरण का ट्रायल ऑक्सफोर्ड में होगा और इसमें 18 से 55 साल के लोगों पर वैक्सीन की सुरक्षा और इम्यून प्रतिक्रिया की जांच की जाएगी. इसके बाद निपाह वायरस से प्रभावित देश में और ट्रायल किए जाने की उम्मीद है.


एक्सपर्ट का बयान
कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयरनेस इनोवेशन (सीईपीआई) के एक कार्यकारी डॉ. इन-क्यू यून ने कहा कि निपाह में महामारी का खतरा है, इसके फल चमगादर जिन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, वहां दो अरब से अधिक लोग रहते हैं. यह ट्रायल इस घातक वायरस से बचाने के लिए उपकरणों का एक समूह बनाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है.


वैक्सीन ट्रायल
यह ट्रायल ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के नेतृत्व में और सीईपीआई द्वारा फंड किया गया है, जो उभरते संक्रामक रोगों के खिलाफ वैक्सीन के विकास का सपोर्ट करने वाला एक वैश्विक गठबंधन है. मॉडर्ना ने भी 2022 में निपाह वायरस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत की थी, जिसे उसने अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के साथ मिलकर विकसित किया है.


निपाह का प्रकोप
पिछले साल सितंबर में, भारत के केरल राज्य ने पांच वर्षों में अपना चौथा निपाह प्रकोप देखा था, जिसमें छह लोग संक्रमित हुए और दो की मौत हो गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस संक्रमण से बुखार, सिरदर्द, खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और इसके बाद ब्रेन स्वेलिंग होने की संभावना होती है. इसकी मृत्यु दर 40% से 75% तक होने का अनुमान है. ऑक्सफोर्ड के इस अध्ययन से निपाह वायरस के प्रभावी उपचार की उम्मीद जगी है. हालांकि, अभी और ट्रायल की जरूरत है.