ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज 2 सोसायटी में बीते दिनों दूषित पानी पीने से बड़ी संख्या में लोग बीमार हो गए थे. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने वहां पर कैंप लगाकर लोगों की जांच की थी और पानी के सैंपल को लैब में टेस्ट के लिए भेजा था. सैंपल की रिपोर्ट आ गई है, जिसमें ई कोलाई बैक्टीरिया मिला है.


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ई कोलाई बैक्टीरिया आमतौर पर मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाया जाता है. हालांकि इसकी कुछ प्रजातियां लाभकारी होती हैं, परंतु कुछ प्रकार के ई कोलाई हानिकारक होते हैं. विशेष रूप से, दूषित पानी और खाने के माध्यम से ई कोलाई का संक्रमण फैलता है. यह बैक्टीरिया गंदगी और फेकल मैटर (मल) से फैलता है और पेयजल के दूषित होने पर यह लोगों को सीधे प्रभावित करता है.


ई कोलाई के संक्रमण से स्वास्थ्य पर प्रभाव
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, ई कोलाई बैक्टीरिया का संक्रमण शरीर के विभिन्न अंगों पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है. इसके प्रमुख लक्षणों में पेट में ऐंठन, दस्त, उल्टी और बुखार शामिल हैं. जब व्यक्ति दूषित पानी का सेवन करता है, तो यह बैक्टीरिया उसकी आंतों में प्रवेश करता है और वहां संक्रमण फैलाता है. गंभीर मामलों में, ई कोलाई के संक्रमण से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है.


ई कोलाई संक्रमण से कैसे बचा जा सकता है?


स्वच्छ पानी का सेवन करें: यह सुनिश्चित करें कि आप हमेशा साफ और शुद्ध पानी का सेवन करें. उबालकर या फिल्टर किए गए पानी का सेवन करने से आप ई कोलाई जैसे बैक्टीरिया के संक्रमण से बच सकते हैं.


हाथों की सफाई: खाना बनाने से पहले और खाने से पहले हमेशा हाथों को अच्छी तरह से धोएं. इससे बैक्टीरिया के संक्रमण का खतरा कम होता है.


दूषित खाने से बचें: दूषित और अनहेल्दी खाने से बचें. खासकर खुले में बिकने वाले फूड्स को खाने से पहले उनकी सफाई पर ध्यान दें.


गौरतलब है कि बीते दिनों ग्रेटर नोएडा वेस्ट सोसायटी के अंदर स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पतालों का हेल्थ कैंप लगाया गया था. तीन दिनों तक लोगों का इलाज किया था. उस वक्त आरोप लगा था कि सोसायटी में पानी की टंकियों की सफाई हुई थी. इसके बाद से जो पानी सप्लाई किया जा रहा है उसे पीने के बाद से चार टावरों में रह रहे लोग बीमार पड़ गए थे.


वहीं, इस बैक्टीरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और उत्तर प्रदेश सरकार को भी अपनी रिपोर्ट भेजी है. गौतम बुद्ध नगर के सीएमओ के मुताबिक, इस बैक्टीरिया से होने वाले नुकसान का इलाज और रोकथाम जरूर है, लेकिन फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है. डॉ. सुनील शर्मा के मुताबिक, सोसायटी में लगातार तीन दिनों तक स्वास्थ्य विभाग ने कैंप लगाकर लोगों की जांच की थी और उनको डॉक्टर की सलाह के साथ दवाइयां भी दी गई थी.