आजकल बदलते लाइफस्टाइल और गलत खान-पान की आदतों के कारण डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. डायबिटीज से पहले की स्थिति, जिसे प्रिडायबिटीज कहते हैं, उस अवस्था को दर्शाती है जब खून में शुगर का लेवल सामान्य से ज्यादा होता है लेकिन डायबिटीज का लेवल नहीं पहुंचा होता. प्रिडायबिटीज की पहचान करना बेहद जरूरी है क्योंकि यह डायबिटीज का प्रारंभिक संकेत होता है और अगर इस अवस्था में ही सही कदम उठाए जाएं, तो इस बीमारी को रोकना संभव हो सकता है.


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डॉक्टर रिया शर्मा के अनुसार, प्रिडायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल से बाहर जाने की संभावना काफी अधिक होती है, जो आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज का रूप ले सकता है. सही समय पर इसका पता लगाने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है.


प्रीडायबिटीज के लक्षण
प्रिडायबिटीज के लक्षण अक्सर बहुत छोटे होते हैं और आमतौर पर लोग इसे अनदेखा कर देते हैं. लेकिन डॉक्टर शर्मा का कहना है कि थकान, बार-बार प्यास लगना, भूख बढ़ना और वजन में अनचाहे बदलाव जैसी छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए. यदि इन लक्षणों का अनुभव हो, तो तुरंत ब्लड शुगर की जांच करवानी चाहिए.


समय पर जांच और लाइफस्टाइल में बदलाव है जरूरी
डॉक्टर का कहना है कि ब्लड शुगर की नियमित जांच, विशेष रूप से जिन लोगों के परिवार में डायबिटीज का इतिहास हो, उन लोगों के लिए जरूरी है. नियमित जांच से न केवल प्रिडायबिटीज का पता लगाया जा सकता है, बल्कि समय रहते इसे कंट्रोल भी किया जा सकता है.


रोकथाम के उपाय
प्रिडायबिटीज को रोका जा सकता है अगर सही समय पर ध्यान दिया जाए. खान-पान में बदलाव, नियमित एक्सरसाइज और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर प्रिडायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है. साबुत अनाज, ताजे फल और सब्जियों का सेवन और फास्ट फूड से दूरी बनाकर शुगर लेवल को नियंत्रण में रखा जा सकता है. डॉक्टर रिया ने अंत में कहा कि प्रिडायबिटीज की समय पर पहचान और रोकथाम न केवल डायबिटीज से बचा सकती है, बल्कि इससे जुड़े अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे दिल की बीमारी, किडनी की समस्याएं और आंखों की बीमारियों से भी दूर रख सकती है.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.