स्कूल में 8 साल की बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मौत; बच्चों के कमजोर दिल के पीछे क्या होते हैं कारण?
Advertisement
trendingNow12592212

स्कूल में 8 साल की बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मौत; बच्चों के कमजोर दिल के पीछे क्या होते हैं कारण?

कर्नाटक से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां स्कूल परिसर में एक 8 साल की बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. यह स्थिति आमतौर पर वयस्कों में देखा जाता है, लेकिन बच्चों में भी यह दुर्लभ मामलों में हो सकता है.

स्कूल में 8 साल की बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मौत; बच्चों के कमजोर दिल के पीछे क्या होते हैं कारण?

कर्नाटक के मैसूरु जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां स्कूल परिसर में एक 8 साल की बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. यह बच्ची कक्षा 3 की छात्रा थी और अपनी कक्षा में थी, जब अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी. स्कूल प्रशासन ने तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

घटना के बाद स्कूल प्रशासन और बच्ची के परिवार में गहरा शोक है. मासूम उम्र में इस तरह की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. डॉक्टरों के मुताबिक, प्राथमिक जांच में कार्डियक अरेस्ट का कारण कोई जन्मजात दिल की बीमारी हो सकता है, हालांकि सटीक कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.

बच्चों में कार्डियक अरेस्ट के संभावित कारण
कार्डियक अरेस्ट आमतौर पर वयस्कों में देखा जाता है, लेकिन बच्चों में भी यह दुर्लभ मामलों में हो सकता है. यहां कुछ संभावित कारण दिए गए हैं, जिनसे बच्चों में यह समस्या हो सकती है:
* जन्मजात दिल की बीमारी: कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल में समस्याएं होती हैं, जो समय पर पता नहीं चलने पर गंभीर स्थिति में बदल सकती हैं.
* हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी: यह एक जेनेटिक स्थिति है, जिसमें दिल की मसल्स मोटी हो जाती हैं और खून के फ्लो में रुकावट पैदा करती हैं.
* इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन: शरीर में सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम का असंतुलन भी दिल की धड़कन पर बुरा असर डाल सकता है.
* ओवरएक्सर्शन या स्ट्रेस: बच्चों पर पढ़ाई या अन्य शारीरिक गतिविधियों का अधिक दबाव उनके दिल की सेहत पर नेगेटिव असर डाल सकता है.
* अनडायग्नोस्टिक मेडिकल कंडीशन: कभी-कभी बच्चों में स्वास्थ्य समस्याएं पहले से होती हैं, लेकिन उनका समय पर पता नहीं चल पाता.

कैसे बच्चों को कार्डियक अरेस्ट से बचा सकते हैं?
* नियमित हेल्थ चेकअप: बच्चों के दिल की सेहत का समय-समय पर टेस्ट कराना जरूरी है.
* शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान: बच्चों को व्यायाम और खेल-कूद का समय जरूर देना चाहिए, लेकिन उनकी सीमाओं को समझना भी उतना ही जरूरी है.
* बैलेंस डाइट: बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर आहार दें और जंक फूड से बचाएं.
* खतरे के लक्षणों को पहचानें: अगर बच्चा जल्दी थकता है, सीने में दर्द की शिकायत करता है या सांस लेने में तकलीफ होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Trending news