दुनियाभर में बढ़ रहे डिमेंशिया के मामलों के बीच एक नए शोध ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि नजरों की रोशनी में तेजी से आई कमी डिमेंशिया का संकेत हो सकती है. यानी, जिन लोगों की आंखें तेजी से कमजोर हो रही हैं, उनमें भूलने की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है.


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अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में 71 साल या उससे अधिक उम्र के 20 प्रतिशत लोगों में पाया गया कि जैसे-जैसे उनकी आंखों की रोशनी कम होती गई, वैसे-वैसे उनकी याददाश्त भी कमजोर होती गई. शोधकर्ताओं ने बताया कि इससे पहले के अध्ययनों में सुनने की क्षमता में कमी और डिमेंशिया के बीच संबंध पाया गया था, लेकिन आंखों की रोशनी कम होने से दिमाग पर पड़ने वाले असर को डिमेंशिया का कारण बताया जाना एक नया खुलासा है.


कैसे किया गया अध्ययन?
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में शामिल लोगों को तस्वीरें याद रखने का काम दिया. जिन लोगों की दूर की नजरें खराब थीं, उनमें 5 प्रतिशत में डिमेंशिया के संकेत मिले. वहीं, निकट दृष्टि दोष वालों में 10 प्रतिशत और धुंधली दृष्टि दोष वाले 15 प्रतिशत लोगों में याददाश्त की परेशानी मिली. शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर इन प्रतिभागियों की नजर कमजोर होने को गंभीरता से लिया जाता तो लगभग 20 प्रतिशत मामलों में डिमेंशिया को रोका जा सकता था.


क्या हैं डिमेंशिया के लक्षण?
डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग के सेल्स धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं, जिससे याददाश्त, सोचने की क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. डिमेंशिया के कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- याददाश्त का कमजोर होना
- नई चीजें सीखने में कठिनाई
- वस्तुओं को खोना
- भाषा में समस्याएं
- समय और स्थान का बोध खोना
- निर्णय लेने में कठिनाई
- मूड स्विंग्स
- पर्सनैलिटी में बदलाव


नजरों की रोशनी और दिमाग का संबंध
यह शोध बताता है कि आंखें सिर्फ देखने के लिए ही नहीं, बल्कि दिमाग के साथ भी जुड़ी हुई हैं. आंखों के माध्यम से प्राप्त होने वाली जानकारी दिमाग को उत्तेजित करती है और उसे हेल्दी रखने में मदद करती है. जब आंखों की रोशनी कमजोर होती है, तो दिमाग को कम उत्तेजना मिलती है, जिससे दिमाग के सेल्स कम एक्टिव हो जाती हैं और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है.