Dhiraj Sahu: धीरज साहू के `कैशलोक` में इनकम टैक्स की रेड Over, मिले 351 करोड़ रुपये; अफसरों के उड़े होश
IT Raid: उड़ीसा में बरामद नोटों की ये गिनती पांच दिनों तक चली थी. इस मामले में अब पूछताछ का दौर शुरू हो चुका है. अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ चल रही है और बौध डिस्टिलरीज के प्रोमोटर को पूछताछ के लिए नोटिस देकर बुलाया गया है और उनसे भी साथ ही पूछताछ की जायेगी.
Income Tax Raid: उड़ीसा, झारखंड और कोलकाता में बरामद नोटों की गिनती खत्म हो गई है. छापेमारी में बरामद रकम 351 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. एजेंसी के मुताबिक, गिनती खत्म हो चुकी है और आंकड़ा इसके आसपास ही रहने की उम्मीद है क्योंकि अब सिर्फ छोटे नोट ही बचे हैं.
उड़ीसा में बरामद नोटों की ये गिनती पांच दिनों तक चली थी. इस मामले में अब पूछताछ का दौर शुरू हो चुका है. अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ चल रही है और बौध डिस्टिलरीज के प्रोमोटर को पूछताछ के लिए नोटिस देकर बुलाया गया है और उनसे भी साथ ही पूछताछ की जायेगी.
दफ्तर से मिले थे 220 करोड़ रुपये
इस मामले में सबसे ज्यादा नोट उड़ीसा के बालांगीर में कंपनी के दफ्तर से बरामद किए गये थे जो करीब 220 करोड़ रुपये थे. इसके अलावा बाकी जगहों से रकम बरामद की गई, जिसमें झारखंड और कोलकाता भी शामिल है. एजेंसी ने इस मामले में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी और वहां से भी काफी नकदी और ज्वैलरी बरामद हुई है. शराब का ये कारोबार सांसद धीरज साहू के पिता राय साहब बलदेव साहू ने शुरू किया था और इसे परिवार के लोग ही संभालते हैं.
यह देश में किसी भी जांच एजेंसी की तरफ से की गई एकल कार्रवाई में अब तक की सबसे अधिक जब्ती बन गई. कर चोरी और ऑफ़-द-बुक (जिसका लेखा-जोखा कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड में नहीं हो)" लेनदेन के आरोप में टैक्स अधिकारियों ने 6 दिसंबर को छापेमारी शुरू की थी.
साल 2019 में मिले थे 257 करोड़ रुपये कैश
आयकर विभाग का मानना है कि यह बेहिसाबी नकदी है और कारोबारी ग्रुप, विक्रेताओं और बाकियों ने शराब की नकद बिक्री से इसे कमाया है. इससे पहले इतनी भारी मात्रा में नकदी 2019 में बरामद की गई थी, जब जीएसटी इंटेलिजेंस ने कानपुर के एक व्यवसायी से जुड़े परिसरों पर छापा मारा था और 257 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे.
वहीं, जुलाई 2018 में तमिलनाडु में एक रोड कंस्ट्रक्शन फर्म के खिलाफ तलाशी के दौरान आयकर विभाग की ओर से 163 करोड़ रुपये की नकदी का खुलासा किया गया था. विभाग उन अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के बयान भी दर्ज कर रहा है, जो छापों वाले जगहों पर मौजूद थे.