African swine fever kills wild boars in Mizoram: मिजोरम में जंगली सूअरों की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. इसका कारण जंगली सूअरों में फैली अफ्रीकी स्वाइन फीवर नाम की खतरनाक बीमारी को बताया जा रहा है. जानवरों में फैल रही ये बीमारी हर रोज बढ़ती जा रही है. सूअरों की इस बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय बचा है. पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक (पशुधन स्वास्थ्य) डॉ लालमिंगथांगा ने बताया कि राज्य सरकार ने इस बीमारी के खिलाफ वियतनाम से टीके आयात करने का अनुरोध करने के लिए केंद्र को चिट्ठी लिखने का फैसला किया है.


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टीकाकरण ही एकमात्र उपाय


डॉ लालमिंगथांगा ने कहा कि मौजूदा रोकथाम के उपायों से इस बीमारी को खत्म कर पाना आसान नहीं है क्योंकि अब इसने महामारी का रूप ले लिया है. उन्होंने कहा कि अभी इस महामारी को रोकने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है. अधिकारियों ने कहा कि वियतनाम में टीके उपलब्ध हैं लेकिन उन्हें आयात करने के लिए केंद्र से मंजूरी की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से वियतनाम से टीके उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया जाएगा. राज्य सरकार अगले हफ्ते से केंद्र को चिट्ठी लिखकर जंगली सूअर में African Swi ne Fever (ASF) का पता लगाने के बारे में सूचित करेगी. 


9 हजार से ज्यादा सूअरों की मौत 


राज्य के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग द्वारा गुरूवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल फरवरी से अब तक महामारी की वजह से कुल 9,891 सूअरों की मौत हो चुकी है. डॉ लालमिंगथांगा ने बताया कि चंफाई जिले के दो वन क्षेत्रों में पाए गए जंगली सूअर के शवों से कुछ नमूने लिए गए. सूअर के शवों से लिए गये नमूनों को भोपाल में राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भेजा गया था. जिनका लैब टेस्ट करने पर पता चला कि ये सूअर (ASF) से मारे गए हैं. उन्होंने बताया कि 19 जुलाई को चंफाई जिले के लीसेंजो गांव से लगभग छह किलोमीटर दूर एक जंगल में दो मादा जंगली सूअर और एक सूअर के शव मिले थे. उसी जिले के समथांगा इलाके के एक जंगल में कई और जंगली सूअरों के शव भी मिले थे. इससे पहले पूर्वोत्तर राज्य में केवल खेतों और घरों से ही ASF की सूचना मिली थी.


(इनपुट: एजेंसी)


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