Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र के चुनाव में हर राजनीतिक दल अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग अलाप रहा है. इस बीच चुनावी हवा बनाने के काम आने वाले नारों पर भी जमकर बहसबाजी हो रही है. दरअसल यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के एक नारे ने तो पूरा आसमान सिर पर उठा लिया है. उस नारे पर ऐसा लगता है कि खुद बीजेपी और महायुति की एक राय नहीं बन पा रही है. ऐसे में क्या योगी का नारा बीजेपी को लोकसभा चुनावों की तरह बैकफायर या मिसफायर तो न कर जाएगा? ऐसी चर्चाओं ने भी जोर पकड़ना शुरू कर दिया है.


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Batenge Toh Katenge: 'बटेंगे तो कटेंगे' की गूंज


यूं तो पूरे महाराष्ट्र में योगी आदित्यनाथ के दिए इस नारे 'बटेंगे तो कटेंगे' की गूंज हर तरफ सुनाई दे रही है. इसके साथ ही इसी नारे पर सियासत भी ऊबाल मार रही है. इस नारे पर महायुति तो छोड़िये खुद कुछ बीजेपी नेता असहज दिख रहे हैं. इस नारे को लेकर उनके बीच ही तकरार लग रही है. कोई इसे सही बता रहा है तो किसी का कहना है ऐसे नारों की कतई जरूरत नहीं है. बटेंगे तो... पर किसकी क्या राय है, आइए बताते हैं.


बटेंगे तो कटेंगे... का नारा महायुति सहयोगी एनसीपी की नाराजगी बढ़ाने के बाद अब भाजपा में नाराज़गी पैदा करने के साथ दरार डाल रहा है. NCP अध्यक्ष और डिप्टी सीएम अजीत पवार के बीड में ये कहने के ऐसा नारा महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा, इस बयान पर भाजपा के 2 बड़े चेहरों- एमएलसी पंकजा मुंडे और राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण ने भी आपत्ति जताई है.


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भाजपा की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) का कहना है कि मेरी राजनीति अलग है. मैं इस नारे का सिर्फ इसलिए समर्थन नहीं करूंगी क्योंकि मैं और योगी आदित्यनाथ दोनों एक ही पार्टी से हैं. मेरा मानना ​​है कि हमें केवल विकास के लिए काम करना चाहिए. हालांकि दरार की खबरें उड़ी तो उनकी सफाई भी आई. उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से समझा गया.


इसके बाद अशोक चह्वाण ने बीजेपी की बेचैनी बढ़ा दी. उन्होंने भी एक टीवी चैनल से कहा, यह 'बटेंगे तो कटेंगे' नारा बीजेपी ने नहीं दिया. ये किसी तीसरी पार्टी से आया है'. उसी दिन एक न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में, पूर्व सीएम ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के इन शब्दों की प्रासंगिकता नहीं है. मुझे नहीं लगता लोग इसे पसंद करेंगे. मैं ऐसे नारों के पक्ष में नहीं हूं'.


बीजेपी की सफाई 


इस एपिसोड को लेकर महाराष्ट्र से आने वाले बीजेपी नेता और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े ने शुक्रवार को कहा, 'यूपी सीएम ने जो कहा, उसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है. 'बटेंगे तो कटेंगे' एक हकीकत है. कश्मीर में पंडित एकजुट नहीं थे और उन्हें इसकी भारी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. उनके परिवार की महिलाओं के साथ बलात्कार जैसा घिनौना अपराध हुआ.


सियासी समीकण


हाल के लोकसभा चुनाव में, महायुति धुले में पांच विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी, लेकिन मालेगांव क्षेत्र में उसे झटका लगा था. महाराष्ट्र की चुनावी जनसभाओं में पीएम नरेंद्र मोदी भी इसी नारे का जिक्र करते है. ग्राउंड रिपोर्टिंग की बात करें तो वो यही बात कुछ अलग शब्दों और अपने अंदाज में कहते हैं. उनका दिया नारा है- 'एक हैं तो सेफ हैं.' जो 'कटेंगे तो बटेंगे' की तुलना में ज्यादा पसंद किया जा रहा है. मोदी अपनी रैलियों में कहते हैं- 'अगर देश बंट जाता है, तो दूसरे फायदा उठाते हैं. इसलिए, हम भी कह रहे हैं, 'एक हैं तो सुरक्षित है'.


वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के डिप्टी देवेन्द्र फडणवीस भी मानो इस नारे के संभावित साइड इफेक्ट को दूर करने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं. इस नारे को लेकर वो कई रैलियों और इंटरव्यू में कह चुके हैं कि हो सकता है कि हमारे कुछ लोग इस नारे का सही मतलब न समझ पाए हों. महायुति गठबंधन एकजुट है. भाजपा और सहयोगी राकांपा में योगी आदित्यनाथ के नारे के प्रति नापसंदगी या नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है.