Amritsar Train Accident on Dussehra: दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. पूरे देश में इस दिन जगह- जगह रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है. जिन्हें देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग जुटते हैं. इस दिन का बच्चों को भी बेसब्री से इंतजार रहता है और वे इसे अच्छी याद के रूप में सहेज कर रखना चाहता हैं. लेकिन एक बार ऐसी मनहूस शाम भी आई थी, जब दशहरा देखने के लिए रेलवे लाइन के आसपास जुटे 59 लोगों को कुचलते हुए ट्रेन निकल गई थी. ट्रेन गुजरने के बाद जब लोगों ने अपनों की तलाश शुरू की तो वहां केवल उनके कटे-फटे अंग पड़े थे और दर्जनों परिवार अनाथ हो चुके थे. क्या थी वह मनहूस रात और कहां हुआ था वो दर्दनाक हादसा, आज हम इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.


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दशहरा देने के लिए पहुंचे थे हजारों लोग


वर्ष 2018 की बात है. उस साल दशहरा पर्व 19 अक्टूबर को पड़ा था. पंजाब के अमृतसर शहर के लोग दशहरा पर्व देखने के लिए बहुत उत्साहित थे. रेलवे लाइन के पास वाले मैदान में मुख्य कार्यक्रम होना था, जहां रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बने थे. उस वक्त पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार थी. जबकि अमृतसर की सांसद बीजेपी नेता नवजोत कौर सिद्धू थीं.


लाउडस्पीकर्स की आवाज में नहीं सुनी सीटी


शाम को नवजोत कौर सिद्धू समारोह में पहुंचीं. इसके साथ ही कार्यक्रम स्थल पर भीड़ का दबाव बहुत बढ़ गया. मैदान में जगह कम पड़ने पर लोग पास में मौजूद रेलवे लाइनों पर पहुंच गए. तब तक मैदान में हजारों लोगों का जमावड़ा हो चुका था. धीरे- धीरे अंधेरा घिर चुका था और ट्रैक पर दिखना भी बंद हो चुका था. एक पैसेंजर ट्रेन तेज हॉर्न बजाते हुए वहां पहुंची लेकिन दशहरा पंडाल में तेज आवाज में बज रहे लाउडस्पीकर्स की वजह से लोगों को ट्रेन की सीटी सुनाई नहीं दी.


लोगों को काटते हुई गुजर गई ट्रेन


जब ट्रेन एकाएक पास पहुंची तो लोगों में भगदड़ मच गई. जान बचाने के लिए लोग इधर- उधर भागे. लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि काफी लोग हिल भी नहीं पाए और ट्रेन उन्हें कुचलते हुए गुजर गई. जब ट्रेन निकल गई तो अपनों की खोजबीन शुरू हुई. लेकिन वहां पर शवों के अलावा कुछ नहीं बचा था. इस घटना में 59 लोग मारे गए, जिनके अंग जहां- तहां बिखरे पड़े थे. थोड़ी देर पहले जहां खुशी और उत्सव का माहौल था, अब वहां पर चीखों और मर्मभेदी रुदन का शोर था. किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे.


शोक में डूब गया था पूरा देश


हादसे की जानकारी मिलते ही अमृतसर का जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और बचे लोगों को अस्पताल पहुंचाने का सिलसिला शुरू हुआ. दशहरे पर हुए इस भयानक हादसे ने पूरे देश को दुख से सराबोर कर दिया. घटना के प्रत्यक्षदर्शी लोगों का कहना था कि अगर ट्रेन ड्राइवर पहले से हॉर्न बजाता तो ट्रैक पर खड़े लोगों को बचने का ज्यादा मौका मिल सकता था. वे इस बात से भी आहत थे कि पीड़ितों की मदद करने के बजाय सांसद नवजोत कौर सिद्धू हादसे के तुरंत बाद वहां से निकल गईं. 


आज भी मुआवजे का इंतजार


लोगों के मुताबिक इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह कई घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे. जिससे उनकी संवेदनहीनता का पता चलता है. अब हर साल दशहरा आता है और चला जाता है लेकिन अमृतसर के पीड़ितों को यह दिन दुख के सिवा कुछ नहीं देता. इस घटना के बाद पंजाब सरकार ने पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा की थी लेकिन इतने साल बीतने के बावजूद काफी लोग आज भी इस ऐलान के पूरा होने का बस इंतजार ही कर रहे हैं.