DNA: बाबा बागेश्वर का नया एजेंडा, आबादी का मुद्दा उठाकर हिंदू एकता यात्रा की तैयारी
Bageshwar Dham padyatra: धीरेंद्र शास्त्री ने 21 नवंबर से एक नई योजना का ऐलान किया है, हिंदू सनातन एकता यात्रा. यह यात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा के रामराजा मंदिर पर समाप्त होगी.
Dhirendra Shastri population remark: धीरेंद्र शास्त्री जिन्हें बाबा बागेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने अपने बयान में आबादी के मुद्दे को जोड़ा है और समुदाय विशेष पर निशाना साधा है. बाबा बागेश्वर के इस बयान ने सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है. चुनावी माहौल में जहां नेता अपनी रैलियों में व्यस्त हैं, वहीं बाबा बागेश्वर के इस बयान ने नया राजनीतिक मोड़ ला दिया है.
बाबा बागेश्वर का यह बयान तब आया है जब महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. बाबा ने कहा, "हमारी गदा वाई-फाई की तरह है, लेकिन इस बार पर्ची निकाली है आबादी के मुद्दे पर."
चुनावी बयानबाजी में बागेश्वर बाबा
बाबा बागेश्वर ने हाल ही में हिंदू जागरण के साथ आबादी को अपने एजेंडे का हिस्सा बनाया है. कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा और बीजेपी प्रवक्ता अजय यादव ने बाबा के बयान की आलोचना की है. मुस्लिम धर्मगुरु जमशेद आलम ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बाबा बागेश्वर को अपने कद के मुताबिक बयान देने चाहिए.
धीरेंद्र शास्त्री ने 21 नवंबर से एक नई योजना का ऐलान किया है: हिंदू सनातन एकता यात्रा. यह यात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा के रामराजा मंदिर पर समाप्त होगी. इस 165 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में बाबा ने हिंदुओं के साथ-साथ गैर हिंदुओं को भी शामिल होने का न्योता दिया है. बाबा का दावा है कि जब तक हिंदुओं के बीच जात-पात का भेदभाव खत्म नहीं होगा, वे खड़ाऊ भी नहीं पहनेंगे.
क्या है बाबा बागेश्वर का चुनावी कनेक्शन?
बाबा बागेश्वर के बयान अक्सर विवादित रहे हैं, और चुनावी माहौल में उनके बयानों की तीव्रता और बढ़ जाती है. पिछले कुछ समय में देखा गया है कि जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं, बाबा का फोकस हिंदू जागरण से हटकर मुस्लिम समुदाय की ओर बढ़ जाता है. महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी चुनाव के मद्देनजर बाबा बागेश्वर की इस 'आबादी' कथा का भी राजनीतिक कनेक्शन माना जा रहा है.
पदयात्रा से राजनीति में एंट्री?
बाबा बागेश्वर का यह नया कदम कहीं न कहीं उनके बढ़ते राजनीतिक प्रभाव की ओर इशारा कर रहा है. हिंदू एकता के नाम पर पहले भी कई सभाएं कर चुके बाबा, इस बार पदयात्रा का सहारा ले रहे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि इस यात्रा का चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ता है.
ब्यूरो रिपोर्ट