UP Wolf attack: बहराइच के अलग-अलग इलाकों में भेड़ियों ने पिछले डेढ़ महीने में 9 लोगों का शिकार कर चुका है. ड्रोन से ली गई तस्वीरों में ये दिखते तो हैं, लेकिन दूसरे ही पल गायब हो जाते हैं. स्थानीय प्रशासन से लेकर वन्य विभाग का पूरा का पूरा 32 गांव के लोगों के साथ दिन-रात जाग रहा है. 300 किलोमीटर के दायरे में 200 लोगों की टीम हजारों लोगों के साथ खूनी भेड़ियों को उनकी मांद से निकालने का जतन कर रही है. यूपी के बहराइच में आदमखोर भेड़िए का आतंक खत्म होता नहीं दिख रहा है. दहशत में जी रहे 70000 लोगों के लिए बुरी ख़बर ये है कि बीती रात फिर से ड्रोन कैमरे में भेड़िया दिखा है. ड्रोन कैमरे के इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे खेत में भेड़िया भागता दिख रहा है.


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बहराइच की फॉरेस्ट आफिसर रेनू सिंह का कहना है कि अभी तक जिन चार भेड़ियों को पकड़ा गया है उन्हें जल्द ही सुरक्षित जगहों पर ट्रांसफर करेंगे. 4 भेड़िए पकड़े जा चुके है 2 बचे हैं, हम लकी हुए तो आज ही बाकियों को पकड़ लेंगे. डाक्टर ने एक का चेकअप करके देख लिया है. उन्होंने बताया है कि पकड़ा गया भेड़िया सेफ है.


बहराइच की दुखभरी कहानी


आदमखोर भेड़ियों की बात करें तो पीली आंखें.. नूकीले दांत.. खूनी पंजे.. खामोजी से बढ़ते कदम... भेड़िये वो शातिर शिकारी है जिसकी आहट तक नहीं आती है. यही वजह है कि इसके चंगूल से बड़े से बड़ा शिकार तक नहीं बच पाता है. ये अपने से 5 गुना वजनी शिकार तक को ढेर कर देता है. भेड़िये को जुझारू शिकारी माना जाता है. लेकिन अगर इन्हें आसान शिकार की आदत लग गई तो ये आदमखोर बन जाते हैं.


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बहराइच के भेड़ियों ने भी इंसानी खून चख लिया है. यही वजह है कि वो बार बार लौट कर आ रहे हैं. और जब भी आ रहे हैं किसी मां की गोद सूनी कर जा रहे हैं. बहराइच के 35 गावों में भेड़ियों ने 38 हमले किए हैं. भेड़ियों के हमलों में अभी तक 22 लोग घायल हो चुके हैं और 9 लोगों की मौत हो चुकी है. भेड़ियों ने इंसानी रिहायश के बीच कहीं अपनी मांद ढूंढ ली है और मौका पाते ही शिकार कर रहे हैं. पुलिसवाले और फॉरेस्ट टीम के लोग गांव वालों के साथ भेड़ियों के पैरों के निशान तलाश रहे हैं. वन विभाग की टीम किसी भी कीमत पर उन भेड़ियों को 10वां शिकार करने से पहले रोकना चाहती है.



भेड़िए क्यों हैं इतना खतरनाक


- हमेशा 5-15 की झुंड में रहते हैं
- पूरी तैयारी के बाद हमला
- हमले से पहले शिकार की रेकी
- शिकार से पहले घात लगाकर घंटों इंतजार
- सबसे ताकतवर भेड़िया का पहला हमला
- फिर बाकी भेड़ियों का एक साथ हमला
- अपने से 5 गुना वजनी शिकार करने में सक्षम


यूपी में जानवर आदमखोर क्यों ?

- भारत-नेपाल सीमा से सटे तराई में है बहराइज
- दुधवा टाइगर रिजर्व का भी बफर जोन
- बारिश से भेड़ियों की मांद में पानी भरा
- सुरक्षित जगह की तलाश में गांवों में पहुंचे
- ब्रीडिंग सीजन से पहले सुरक्षित जगह की तलाश
- रेबीज होने की वजह से भी हमले करते हैं
- भोजन की तलाश में भी आबादी में आते हैं

बहराइच के आदमखोर भेड़िए

9  की मौत.
22 घायल.
35 गांवों में खौफ.
38 हमले अबतक.
48 दिनों से दहशत.
200 लोगों की सर्च टीम.
300 किमी का इलाका.
70000 लोगों में दहशत.


झुंड में कैसे चलते हैं भेड़िए?


- झुंड को वुल्फ पैक कहा जाता है.
- झुंड में 7-12 सदस्य होते हैं.
- कुछ झुंड में 20-30 भेड़िए भी संभव.
- बेहद अनुशासित और टीम वर्क.
- चलते समय 4 हिस्सों में बंटे होते हैं.
- सबसे आगे बूढ़े या बीमार भेड़िए.
- उसके बाद सबसे मजबूत सदस्य.
- बीच में झुंड के बाकी भेड़िए.
- सबसे आखिर में भेड़ियों का नेता.
- सेना में भी 'वूल्फ पैक फॉर्मेशन' का इस्तेमाल.


आदमखोर भेड़ियों का रहस्य खुल रहा है. भेड़ियों पर सबसे बड़ी कवरेज जी न्यूज़ की टीम कर रही है. बहराहच के आदमखोर भेड़िए कहां से आए हैं इसके लिए आप लगातार ज़ी न्यूज़ देखने के साथ इसी मंच पर भेड़ियों पर देश के सबसे बड़े एक्सपर्ट्स की राय भी जान सकते हैं.


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