पटना: बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Ban Policy) एक बार फिर चर्चा में है और बताया जा रहा है कि नीतीश सरकार जल्द ही शराबबंदी कानून में बदलाव कर सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नीतीश सरकार आगामी बजट सत्र (Budget Session) में शराबबंदी कानून को लेकर संशोधन बिल लाने की तैयारी में है, जिसके जरिए शराब पर प्रतिबंधों से जुड़े कानूनों में ढील दी जा सकती है.


शराबबंदी कानून 2016 में होगा संसोधन


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शराबबंदी कानून (Liquor Ban Policy) में साल 2018 के बाद यह दूसरा बड़ा संशोधन होगा और मद्य निषेध विभाग के सूत्रों की मानें तो कानून कुछ लचीला तो कई मामलों में और कड़ा हो जाएगा. मद्य निषेध विभाग ऑन स्पॉट डिसीजन ले सकेगा.


पहली बार शराब के साथ पकड़े गए तो जेल नहीं


सूत्रों की मानें तो संशोधन के बाद पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर मद्य निषेध के अफसर कुछ हिदायत के बाद छोड़ देंगे. लेकिन बार-बार पकड़े जाने पर जेल जाना होगा. ऑन स्पॉट डिसीजन लेने को लेकर मद्य निषेध टीम में मजिस्ट्रेट को जोड़ा जा रहा है.


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फिलहाल शराब पीते पकड़े जाने पर जेल का प्रावधान


बिहार सरकार के शराबबंदी कानून, 2016 के तहत शराब के साथ या इसका सेवन करते हुए पकड़े जाने वाले लोगों के लिए गिरफ्तारी के साथ जेल की सजा का प्रावधान है. हालांकि इस कानून में साल 2018 में भी संशोधन किया गया था और इस कानून में जमानत देने का प्रावधान किया गया था.


शराब से जुड़े माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई


शराब व्यवसाय से जुड़े माफियाओं की संपत्ति और जमीन तत्काल सरकार जब्त कर उसमें सरकारी कार्यालय, स्कूल आदि खोलेगी. सही मायने में ठीक वैसे ही यह कानून काम आएगी, जैसे आय से अधिक संपत्ति मामले में कानून काम आता है. इसके अलावा सरकार शराब माफियाओं पर सीसीए भी लगा सकती है.


कोर्ट से फटकार और विपक्ष से घिरने के बाद संशोधन


सूत्रों की मानें तो यह सब कोर्ट के टिप्पणी के बाद किया जा रहा है. बिहार में शराबबंदी कानून पर सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही है. जहरीली शराब से मौत के बाद बीजेपी और विपक्ष ने पूर्ण शराबबंदी कानून पर सवाल उठाए हैं.


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