राजधानी पटना में तो महिलाओं की सुरक्षा पुलिस और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के लिए और भी बड़ी चुनौती बन गई है. रेप जैसी घटना में भी राजधानी पटना पूरे बिहार में अव्वल नंबर पर है.
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पटना: महिला उत्पीड़न इन दिनों बिहार में बड़ी समस्या बनी हुई है. यहां तक की राजधानी पटना में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. महिला उत्पीड़न के मामले में राजधानी पटना पूरे बिहार में अव्वल नंबर पर है. साल 2019 में पटना महिला हेल्पलाइन में अब तक 474 मामले उत्पीड़न के आ चुके हैं.
यहां तक कि सितंबर महीने तक पटना में सबसे ज्यादा 85 रेप के मामले दर्ज हुए हैं. राजधानी पटना में तो महिलाओं की सुरक्षा पुलिस और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के लिए और भी बड़ी चुनौती बन गई है. रेप जैसी घटना में भी राजधानी पटना पूरे बिहार में अव्वल नंबर पर है. आकडों के लहजे से पूरे बिहार की स्थिती कुछ इस तरह है-
इधर महिला उत्पीड़न की बढती घटनाओं ने विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका दे दिया है. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि राज्य में महिलाएं अब सुरक्षित नहीं हैं. हर दिन रेप हत्या और जलाने की खबरें आ रही हैं. बक्सर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और सासाराम में हुई घटनाएं महिला उत्पीड़न की बड़ी घटनाएं हैं.
महिला उत्पीड़न की कहानी सिर्फ रेप तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका दायरा घरेलु वायलेंस, दहेज उत्पीड़न, छेडछाड़ तक है. 2017 में पटना हेल्पलाईन में 400 मामले दर्ज किए गए थे. जो पूरे बिहार में सबसे ज्यादा था. इसमें-
वहीं, 2018 में पटना हेल्पलाईन में 432 मामले दर्ज किए गए थे. जिसमें 254 मामले घरेलु हिंसा से जुडे थे. 81 मामले दहेज उत्पीड़न से जुड़े थे. जबकि छेडछाड़ से जुड़े 88 फीसदी मामले दर्ज किए गए थे. इधर, 2019 में नवंबर महीने तक पटना महिला हेल्पलाईन में कुल 474 आए हैं. इसमें-
पटना महिला हेल्पलाईन की काउंसलर प्रमिला कुमारी कहती हैं कि ये आंकड़े तो काफी कम हैं. क्योंकि बहुत सारे मामले हेल्पलाइन की ओर से वाट्सएप्प और फोन के जरिए ही निपटा दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर सभी आंकड़ों को मिला लिया जाए तो इसमें चार गुणा इजाफा हो जाएगा.
प्रमिला कुमारी ने कहा कि पटना में बढ़ रही महिला उत्पीड़न के मामले पर काउंसलर प्रमिला ने कहा कि चूंकि पटना राजधानी है और यहां पर दूसरे जिलों से लड़कियां पढ़ने, महिलाएं काम करने या फिर शादी के बाद यहां शिफ्ट होती हैं. इसलिए यहां उत्पीड़न के आंकड़े ज्यादा भले ही लग सकते हैं. लेकिन हकीकत ये है कि महिलाएं पहले की अपेक्षा जागरुक हुई हैं. इसलिए जुल्म सहने की बजाए वो शिकायत दर्ज करा रही हैं.
इधर, बीजेपी के नेता महिला उत्पीड़न की रोकथाम के लिए समाज और घर परिवार को लोगों को जागरुक होने की सलाह देते हैं. बीजेपी के प्रवक्ता अजित चौधरी कहते हैं कि सरकार हर घर में पुलिस की व्यवस्था नहीं कर सकती. ऐसे में समाज को महिला उत्पीड़न की घटना में रोकथाम के लिए आगे आना होगा.
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