Arwal: हमारा सिलेबस छूट गया...पढ़ाई शुरू हो गई...कुछ न कुछ तो जरूर पढ़ेंगे
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Arwal: हमारा सिलेबस छूट गया...पढ़ाई शुरू हो गई...कुछ न कुछ तो जरूर पढ़ेंगे

Arwal News: सरकारी गाइडलाइन के अनुसार विद्यालय खोल दिए गए है. शिक्षा विभाग सतर्क नजर आ रहा है. स्कूल खुलने के बाद जिले के सभी स्कूल में टिचर्स को मास्क उपलब्ध कराने की बात कही गई.

अरवल में कोरोना काल के बाद 6 से 8 क्लास के सभी स्कूल खुल गए.  (फाइल फोटो)

Arwal: अरवल में कोरोना काल (Corona era) के बाद 6 से 8 क्लास के सभी स्कूल खोल दिए गए. कोरोना के बाद पहली बार माध्यमिक स्कूल खोला गया है. स्कूल खुलने के बाद बच्चे स्कूल पहुंचे लेकिन छात्रों की उपस्थिति कम रही. वहीं अधिकांश विद्यालय में छात्राओं की संख्या ज्यादा देखी गई. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार स्कूल खोली गई और स्कूलों को सैनिटाइज किया गया. विद्यालय में आने वाले बच्चों को भी सैनिटाइज कराया जा रहा है लेकिन कई विद्यालयों में बच्चे बिना मास्क के पढ़ते नजर आए तो कई विद्यालयों में बच्चे मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) के साथ पढ़ते दिखे. सभी शिक्षक ने स्कूल पहुंचकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है.

बता दें कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार विद्यालय खोल दिए गए है. शिक्षा विभाग सतर्क नजर आ रहा है. स्कूल खुलने के बाद जिले के सभी स्कूल में शिक्षकों को मास्क (Mask) उपलब्ध कराने की बात कही गई. लेकिन बच्चों को मास्क उपलब्ध नहीं कराई गई. इसके कारण सकरी खुर्द विद्यालय में कुछ बच्चे मास्क लगाकर स्कूल आए तो वही कुछ लड़कियां अपने दुपट्टे को ही मास्क बनाकर पढ़ाई शुरू करती दिखीं. 

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विभाग ने छात्रों को मास्क नहीं दिया है. परासी माध्यमिक विद्यालय के बच्चे बिना मास्क के ही विद्यालय पहुंचे और पढ़ाई की. यही हाल उत्क्रमित मध्य विद्यालय धावापर का भी रहा जहां विद्यालय में मास्क नहीं बांटी गई है.

कोरोना काल के बाद पहली बार स्कूल खुलने पर बच्चों ने खुशी जाहिर की और कहा, 'हमारा सिलेबस छूट गया है पर अब पढ़ाई शुरू हो गई है तो कुछ ना कुछ जरूर पढ़ेंगे. पहली बार कोरोना जैसी महामारी को देखा पढ़ाई में दिक्कतें आई घर में रहकर पढ़ाई करना बहुत मुश्किल साबित हो रहा था.'

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शिक्षकों ने भी स्कूल खोलने पर खुशी जाहिर की और कहा, 'हम लोग कोरोना काल से ही स्कूल आ रहे हैं. बच्चों के बिना समय काटना मुश्किल होता था. अब बच्चे स्कूल आ रहे हैं तो बहुत खुशी है और बिना छात्रों के स्कूल सुना लगता था. बच्चे स्कूल नहीं आते थे तो हम लोग देवी-देवताओं नेताओं की तस्वीर बनाया करते थे. मुझे बहुत खुशी है कि बहुत दिनों के बाद छात्र-छात्राओं के साथ समय व्यतीत कर रहा हूं. जल्दी बच्चों के पढ़ाई की भरपाई की जाएगी और उन्हें एक अच्छे मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश करेगें.'

कोरोना काल (Corona era) के बाद स्कूल खोल दिए गए है पर यह प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी की स्कूलों का संचालन ठीक तरह हो. बच्चों को पढ़ाई के साथ सुरक्षित मौहोल देना प्रशासन के लिए सबसे महत्वपू्र्ण है.

(इनपुट- संजय रंजन)