नाले में तब्दील हुई पौराणिक चंपा नदी, संजोती थी अंग प्रदेश की सभ्यता, संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत
Champa River: अंग प्रदेश की ऐतिहासिक चंपा नदी का अस्तित्व खतरे में है. ये नदी अब नाले में तब्दील हो गई है. चंपा नदी को अब सरकार भूल चुकी है. जिस चंपा नदी की चर्चा महाभारत व पुराणों में हुई वह चम्पा नदी अब नाले में तब्दील हो चुकी है.
भागलपुर:Champa River: अंग प्रदेश की ऐतिहासिक चंपा नदी का अस्तित्व खतरे में है. ये नदी अब नाले में तब्दील हो गई है. चंपा नदी को अब सरकार भूल चुकी है. जिस चंपा नदी की चर्चा महाभारत व पुराणों में हुई वह चम्पा नदी अब नाले में तब्दील हो चुकी है. बताया जाता है कि अंग प्रदेश के राजा सूर्यपुत्र कर्ण चंपा नदी में स्नान कर सूर्य को जल अर्पण करते थे. सती बिहुला विषहरी चंपा नदी के रास्ते स्वर्ग से अपने पति के प्राण लेने गयी थी. वहीं हर्षवर्धन के शासनकाल में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आये थे तो चंपा नदी व आसपास की समृद्धि से प्रभावित हुए थे.
नाले में तब्दील हुई पौराणिक चंपा नदी
जो चम्पा नदी कभी भागलपुर की जीवन रेखा हुआ करती थी वह अब नाले में तब्दील है. चंपा नदी पर अंग्रेजी शासकों ने 1866 में पुल बनाया था. उस समय वो नदी थी. अंग्रेजी ठेकेदारों ने चम्पा नाला की संज्ञा दी थी लेकिन लोगों ने सचमुच में वर्षों बाद इसे नाले में तब्दील कर दिया. आज से 50-60 वर्ष पूर्व चम्पा नदी कलकल बहती थी. 1970 तक चम्पा नदी अपने मूल रूप में प्रवाहित होती थी. जिसके बाद धीरे धीरे लोगों ने चंपा नदी पर अतिक्रमण कर लिया. चम्पा नदी में कूड़ा कचरा गिराया जाने लगा. साथ ही अवैध रूप से बालू खनन के कारण चंपा नदी संकरी हो कर नाला बन गयी है।
एक महीने में तैयार होगा प्रस्ताव
बिहार सरकार जल जीवन हरियाली को लेकर सुखी व मृतप्राय नदियों को वापस उसके अस्तित्व में लाने की बात करती है लेकिन ऐतिहासिक चंपा नदी पर सरकार की नजर नहीं है. वहीं जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने कहा कि चंपा नदी बड़ी नदी है. बेहतर प्रबंधन नहीं रहने के कारण यह सुख भी जाती है. इसके जीर्णोद्धार का प्रयास किया जाएगा. चंपा नदी को लेकर एक महीने में प्रस्ताव तैयार कर भेजेंगे. चम्पा का धार्मिक और पौराणिक महत्व है.बहरहाल चम्पा नदी पर सरकार की नजर अगर इनायत हो तो यह पुनः अपने मूल रूप में वापस आ सकती है. इससे पौराणिक पहचान तो बरकरार रहेगी ही इसके साथ साथ आसपास के खेतों के किसान भी लाभान्वित होंगे.
इनपुट- अश्विनी कुमार