Bhojpuri Cinema Industry: भोजपुरी फिल्म राजाराम 7 नवंबर, 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. मगर, इस फिल्म के साथ सबसे बड़ा धोखा हो गया. राजाराम फिल्म को पूरे देश में महज 14 सिनेमाघर मिले. बिहार में केवल 10 थियेटर्स में रिलीज हो पाई है.
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Bhojpuri News: एक जमाना था जब भोजपुरी फिल्में सिनेमाघरों में लगती थी तो दर्शकों की दीवानगी देखने को मिलती थी. सबसे बड़ी बात ये की तब दीवानगी भी थी और सिनेमाघर भी. जी हां, अब भोजपुरी फिल्मों का थियेटर्स नहीं मिल रही हैं. खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में, जहां सबसे ज्यादा मिलने चाहिए. आपके मन में एक सावल जरूर आ रहा होगा कि आखिर सिनेमाघर भोजपुरी फिल्मों को क्यों नहीं मिल रहे हैं? आखिर वजह क्या है? और अब ऐसी कौन सी फिल्म रिलीज हो गई, जिसे पूरे देश में छोड़िए बिहार में सिनेमाघर ज्यादा नहीं मिले? तो चलिए इस ऑर्टिकल में हम सबकुछ जानने की कोशिश करते हैं.
दरअसल, भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की फिल्म राजाराम 7 नवंबर, 2024 को रिलीज किया गया है. फिल्म को लेकर भोजपुरी सिनेमा जगत में काफी उत्साह था. दर्शक में इस फिल्म को लेकर काफी क्रेज देखा जा रहा है, लेकिन खेसारी लाल यादव की इस फिल्म के साथ धोखा हो गया. भोजपुरी फिल्म राजाराम पूरे देश समेत बिहार में बहुत कम सिनेमाघर मिले हैं.
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा भोजपुरी फिल्म देखी जाती है, लेकिन यहां पर भी राजाराम फिल्म को सिनेमाघर नहीं मिले. बिहार में 10 और उत्तर प्रदेश में 2 और मुंबई में भी केवल 2 सिनेमाघर भोजपुरी फिल्म राजाराम को मिला है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज ही नहीं हो पाएगी तो कैसे लोगों को पता चलेगा, वह अच्छी है या खराब.
सबसे बड़ी बात ये कि अगर इसी तरह से भोजपुरी फिल्मों के लिए सिनेमाघरों का आकाल बना रहा, तो कैसे यह इंडस्ट्री आगे बढ़ेगी. वह खुद को कैसे साबित करेगी कि इस इंडस्ट्री में भी अच्छी फिल्में बनती है. सोचिए जब भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री के इतने बड़े सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की फिल्म को थिएटर्स नहीं मिल रहे हैं तो और स्टार की फिल्मों का क्या हाल होगा?
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अब सवाल उठता है कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की ऐसी दुर्गति का जिम्मेदार कौन है? आखिर क्यों नहीं नहीं मिल पा रहे भोजपुरी फिल्मों को सिनेमाघर? इसका सीधा सा जवाब है, एक वक्त में भोजपुरी में ऐसी फिल्में बनने लगी, जो एक ही कॉन्सेप्ट पर आधारित होती थी. धीरे-धीरे एक जैसी कहानी देखकर दर्शक सिनेमाघरों में जाना कम कर दिया. इस वजह से सिनेमा मालिकों को नुकसान उठाना पड़ा और उन्होंने बहुत कम भोजपुरी फिल्में लगानी शुरू कर दी.
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