Bihar: BJP MLA को रास नहीं आया 'मंत्री जी' का विलाप, एक और मुद्दा लगा विपक्ष के हाथ
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Bihar: BJP MLA को रास नहीं आया 'मंत्री जी' का विलाप, एक और मुद्दा लगा विपक्ष के हाथ

Bihar News: सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने सदन के अंदर मांग की. उन्होंने कई राज्यों से तुलना कर इस राशि को बढ़ाने का हावाला दिया. लेकिन बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी ने हाथ खड़े दिए. 

बीजेपी विधायक को रास नहीं आया 'मंत्री जी' का विलाप. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: सामाजिक सुरक्षा के तहत बुजुर्गों, विधवा और दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाने की मांग आज सदन के अंदर की गई. ध्यानाकर्षन प्रस्ताव बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने रखा. लेकिन सरकार के मंत्री ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि पेंशन नहीं बढ़ाया जा सकता है. सरकार के इस जवाब से बीजेपी विधायक नाराज हो गए. सदन में उन्होंने आलोचना करते हुए कहा कि मंत्री जी का उत्तर ठीक वैसा ही है जैसे हसुआ को विवाह में खुरपी का गीत गाया जाता है. 

दरअसल, सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने सदन के अंदर मांग की. उन्होंने कई राज्यों से तुलना कर इस राशि को बढ़ाने का हावाला दिया. लेकिन बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी ने हाथ खड़े दिए. उन्होंने सीमित संसाधन का हवाला देकर पेंशन बढ़ाने से इनकार कर दिया. जिससे बीजेपी विधायक नाराज हो गए. मंत्री मदन सहनी ने कहा कि राज्य सरकार 95 लाख लोगों को सहायता राशि देती है. पेंशन या दूसरे सहायत राशि अन्य प्रदेशों के तुलना में बिहार सरकार नहीं दे सकती. केंद्र सरकार के तरफ से मात्र 28 फिसदी ही सहायता राशि दी जा रही है, जबकि बिहार को 72 फिसदी राशि देना होता है.

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वहीं, बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'मैं मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. मंत्री जी का जो ये उत्तर हुआ ये हसुआ के बिआह में खुरपी का गीत गाया गया. हमें शर्म आती है और दुख होता है कि आज जो मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं वो कहीं से सही नहीं है.' इधर, विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेर लिया. आरजेडी विधायक आलोक कुमार मेहता ने कहा, 'सरकार से कोई खुश नहीं है.

सत्तारूढ़ दल के विधायक भी खुश नहीं है. सरकार जनता की अकाक्षाओं पर खड़ी नहीं उतर रही. जबकि मंत्री लेसी सिंह ने कहा, 'राघवेंद्र बाबू पुराने सदस्य हैं. उन्हें संसदीय जीवन का लंबा अनुभव है. लेकिन सरकार की अपनी सीमा है.' हालांकि, सरकार भले सीमित संसाधन का हवाला देकर मांग को खारिज कर रही हो. लेकिन हकीकत ये है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले हम सामाजिक सुरक्षा पेंशन बहुत ही कम दे रहे हैं. महज चार सौ रुपएऔर इस चार सौ रुपये से क्या होता है आप भी समझ सकते हैं.

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