Bihar News: VIP के प्रवक्ता राजीव मिश्रा ने एमएलसी के मनोनयन पर कहा कि गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया गया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने विधानसभा चुनाव के वक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि नोनिया समाज से हम एक एमएलसी बनाएंगे. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमारी पार्टी से राय लेनी चाहिए थी.
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Patna: बिहार विधान परिषद (Bihar Vidhan Parihad) में राज्यपाल कोटे से 12 MLC का मनोनयन हो गया. इस मनोनयन से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल (युनाइटेड) ने सामाजिक समीकरण दुरूस्त करने की भरसक कोशिश किया. लेकिन NDA में शामिल घटक दलों की नाराजगी भी खुलकर सामने आ गई है.
12 सीटों में से एक-एक सीट की उम्मीद लगाए बैठे NDA में शमिल विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए इंसाफ की मांग की है. दोनों दलों का कहना है कि मनोनयन से पहले गठबंधन में शामिल दलों की राय भी नहीं मांगी गई. बिहार में राज्यपाल कोटे की 12 सीटों के लिए मनोनयन के पहले ही HAM और VIP पार्टी ने एक-एक सीट की मांग की थी. लेकिन, मनोनयन का समय आया तो भाजपा और JDU ने छह-छह सीटें आपस में बांट ली. इससे दोनों दलों में नाराजगी है.
HAM-VIP नाराज
VIP के प्रवक्ता राजीव मिश्रा ने विधान पार्षद (MLC) के मनोनयन पर कहा कि गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया गया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) ने विधानसभा चुनाव के वक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि नोनिया समाज से हम एक एमएलसी बनाएंगे. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमारी पार्टी से राय लेनी चाहिए थी.
'CM नीतीश से नहीं थी ऐसी उम्मीद'
वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM)के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्हें निराशा हुई है. उन्होंने आगे कहा कि जो भी 12 विधान परिषद के सदस्यों का मनोनयन हुआ है, उसमें अच्छा होता कि सभी घटक दलों के नेताओं को बुलाकर सलाह लिया जाता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कहीं न कहीं चूक हुई है. हमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से ऐसी उम्मीद नहीं थी. मांझी ने हालांकि ये भी कहा कि नीतीश कुमार इन सभी बातों को लेकर चलते हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा क्यों हुआ, आश्चर्य की बात है. बहरहाल, वीआईपी की ओर से सलाह नहीं लेने पर नाराजगी जरूर जताई गई है. लेकिन अभी तक कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई है.
JDU-BJP ने साधा सामाजिक समीकरण
JDU ने कुछ दिन पहले ही पार्टी में आए उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को उच्च सदन भेजकर 'लव-कुश' समीकरण को दुरूस्त करने की कोशिश की है. जेडीयू ने कुशवाहा के अलावा मंत्री अशोक चौधरी, संजय सिंह, रामवचन राय और ललन सर्राफ को विधान परिषद का सदस्य बनाया है. पार्टी ने राजपूतों को उच्च सदन भेजकर सवर्ण मतदाताओं को खुश करने की कोशिश की है. वहीं, तीन पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं को भी विधान परिषद पहुंचाया है.
JDU के अपने भी हैं नाराज
12 एमएलसी के मनोनयन से जेडीयू में भी नाराजगी दिखाई दी है. जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि विधान परिषद के सदस्यों के चयन के फैसले से आहत हूं. उन्होंने आगे कहा कि कायस्थ जाति को कोई स्थान नहीं दिया गया. इधर, भाजपा ने जनक राम, राजेंद्र गुप्ता, देवेश कुमार, घनश्याम ठाकुर, प्रमोद कुमार तथा निवेदिता सिंह को विधान परिषद भेजकर अपने वोटबैंक को दुरूस्त करने की कोशिश की है.
(इनपुट-आईएएनएस)