TISS Report: 110 में 8 शेल्टर होम को सराहा, बाकी में नरक से भी बदतर है स्थिति
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TISS Report: 110 में 8 शेल्टर होम को सराहा, बाकी में नरक से भी बदतर है स्थिति

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार ने राज्य में चल रहे शेल्टर होम से संबंधित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है

TISS की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है. (प्रतीकात्मक फोटो)

पटनाः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार ने राज्य में चल रहे शेल्टर होम से संबंधित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है. रिपोर्ट को बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.

  1. TISS की रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग पर अपलोड
  2. रिपोर्ट में सुधार गृह की व्यवस्था की दी गई जानकारी
  3. 110 में से 8 सुधार गृहों की व्यवस्था को सराहा गया

TISS की ऑडिट रिपोर्ट को वेबसाइट पर चार भागों में अपलोड किया गया है. बतादें कि पहले समाज कल्याण विभाग ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इनकार किया था. नियमों का हवाला देकर रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं की गई थी. समाज कल्याण विभाग ने शुद्धिपत्र के साथ रिपोर्ट को जारी किया है. पूरी रिपोर्ट कुल 96 पेजों का हैं. इसमें बिहार के 110 शेल्टर होम का सर्वेक्षण करने की रिपोर्ट है.

TISS की एक टीम 'कोशिश' ने मार्च 2018 में बिहार के 35 जिलों में स्थित 110 संस्थाओं की ऑडिट रिपोर्ट बनाई थी. यह सभी संस्थाएं राज्य सरकार में समाज कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आती हैं. यह गुमशुदा बच्चों, बाल मजदूरों, अनाथ बच्चों, मानसिक रूप से कमजोर बच्चे साथ ही घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के रहने और पुर्नवास के लिए कई संस्थाएं और कार्यक्रम चलाती है.

इस संस्थाओं को चलाने के लिए एनजीओ का चयन किया जाता है और इसके एवज में सरकार से पैसे आवंटित कराये जाता हैं. बिहार में सरकारी मदद से 110 संस्थाएं चलायी जा रही थी. TISS की रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्थाओं में रहने वाले बच्चों के साथ हिंसा, शारीरिक, मानिसक और यौन शोषण के सबूत मिले. उन्हीं में से मुजफ्फरपुर बालिका गृह एक है.

TISS ने अपनी रिपोर्ट में बिहार के 8 शेल्टर होम को उनके अच्छे कामों के लिए सराहा गया है. लेकिन बाकी शेल्टर होम के बारे में कहा है कि नरक से भी बदतर है यह जगह, कई बालिका गृह के बारे में बताया गया है कि वहां लड़कियों को सेनेटरी पैड तक नहीं दिया जाता है. सुरक्षा के नाम पर रखे गए गार्ड ही यौन शोषण करते है.

बच्चों की लोहे की रॉड से पिटाई की जाती है. लड़कियों के बाथरूम में अंदर से दरवाजा बंद नहीं किया जा सकता है. कई स्थानों पर तीन वक्त का खाना भी नहीं दिया जा रहा है. गर्मी में बच्चे बिना पंखे, बिना बत्ती और बिना गद्दे के उन्हें रखा जा रहा है. पीने का पानी और प्रॉपर टॉयलेट की भी व्यवस्था नहीं है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के मन में इतना गुस्सा है कि वह कहते हैं अगर मौका मिले तो संचालकों का हत्या करना चाहते हैं. उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है.

बताया गया है कि सरकार द्वारा आवंटित राशियों का 10 फीसदी भी बच्चों के लिए खर्च नहीं किया जा रहा है. सभी सुधार गृहों में यौन हिंसा भले ही न होती हो पर तमाम शेल्टर होम नरक के समान हैं.