Bihar Corona Update: बड़े-बड़े मेडिकल एक्सपर्ट्स भी इसे लेकर स्पष्ट तौर पर नहीं बता पा रहे कि यह कब खत्म होगा या अभी कितने तरह के रूप दिखाएगा. इस वायरस ने अब तक अलग-अलग रंग-रूप दिखाकर पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है.
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Patna: पिछले साल जब कोरोना ने दुनिया में अपनी धमक दिखानी शुरु की थी तब ये एक नई बीमारी और नई समस्या बनकर सामने आया था. लेकन अब यही कोरोना किसी के लिए अंजान नहीं रहा है. बच्चा-बच्चा Corona के नाम से वाकिफ हो चुका है.
लेकिन अगर इस सब के बावजूद भी कहा जाए कि हम इसे पूरी तरह नहीं जान पाए हैं, तो ऐसा कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा. बड़े-बड़े मेडिकल एक्सपर्ट्स भी इसे लेकर स्पष्ट तौर पर नहीं बता पा रहे कि यह कब खत्म होगा या अभी कितने तरह के रूप दिखाएगा. इस वायरस ने अब तक अलग-अलग रंग-रूप दिखाकर पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है.
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'COVID-19' से निपटने की सारी तैयारियां रही नाकाफी
कोविड-19 नाम के इस वायरस को जब भी समझकर तैयारियां पुख्ता की गई, तब-तब इसने अपना रंग बदल लिया. जब वायरस का प्रकोप शुरु हुआ तब दुनिया ने लोगों को सड़क पर, बाजार में, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में गिरकर दम तोड़ते देखा. हालात ऐसे थे कि लोग बीमार शख्स की मदद भी नहीं कर पा रहे थे. हालांकि, उसके बाद अस्पतालों में बहुत सारी तैयारियां की गई.
बात अगर बिहार की करें, तो यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले ही बहुत निम्न स्तर की मानी जाती रही है. ऐसे में कोरोना से निपटने के लिए जिस स्तर की सुविधाएं चाहिए थी वो तुरंत ना हो पाने का खामियाजा भी लोगों ने भुगता और सुविधाओं की कमी की वजह से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. लेकिन अब हालात बदले हैं, अब सुविधाएं पहले की तुलना में बेहतर हैं.
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क्या कोरोना के नए स्ट्रेन के लिए तैयार है बिहार?
अब सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या कोरोना के नए स्ट्रेन के लिए बिहार पूरी तरह तैयार हो चुका है? क्योंकि पिछले तीन-चार महीने में मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई थी. इस दौरान सरकार को खास तौर पर स्वास्थ्य विभाग को पूरा मौका मिला पुख्ता तैयारी करने का. पिछली बार अस्पताल में बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी, वेंटिलेटर की कमी से मरीजों को जूझना पड़ा था, क्या इस बार वो कमी दूर कर ली गई है?
अगर सीधे-सीधे शब्दों में कहा जाए, तो इन सवालों का जवाब 'ना' है. क्योंकि बिहार के अस्पतालों में आज भी ऑक्सीजन सिलिंडर, वेंटिलेटर की बड़े पैमाने पर किल्लत है. यहां तक कि कोविड के लिए रिजर्व बेड की संख्या भी पर्याप्त नहीं है. अभी जब कोरोना की दूसरी लहर का असर दिखना शुरु हुआ है, तब राजधानी पटना के सभी सरकारी अस्पतालों में कोरोना के लिए रिजर्व बेड भर चुके हैं. यहां तक कि प्राइवेट अस्पतालों में भी कुछ ही बेड खाली बचे हैं.
सरकार को तत्काल बड़े कदम उठाने की जरूरत
संक्रमण फैलने की रफ्तार देखकर लोगों में जहां खौफ है, वहीं सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं. देश में प्रतिदिन नए मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और ये आंकड़ा रोजाना 2 लाख मरीज के करीब पहुंच रहा है. ऐसे में बिहार भी इस आफत से अछूता नहीं है. इस बार का स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक और जानलेवा है. इसलिए इस बार बड़ी तादाद में लोगों को अस्पातल जाना पड़ सकता है.
ऐसे में जरूरत है कि बिहार सरकार इसको लेकर युद्धस्तर पर काम करे. अस्पतालों में 25-50 नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में बेड बढ़ाने की दरकार है. साथ ही अस्पतालों को तत्काल ऑक्सीजन सिलिंडर और वेंटिलेटर से लैस करना होगा. नहीं तो वैसे हालात बनने में देरी नहीं होगी जिन हालात से महाराष्ट्र जूझ रहा है.
जहां जांच कराने वाले लोगों में हर चौथा व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकल रहा है. वहां की सरकार अब हालात को भयावह मानकर केन्द्र सरकार से मदद मांग रही है. बिहार को अगर ऐसे हालात से बचना है, तो जल्द से जल्द बड़े पैमाने पर काम करना होगा. क्योंकि ये जानलेवा वायरस कब हमसे दूर जाएगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है.