संक्रमण काल में भी जीवनरक्षक दवाओं-ऑक्सीजन की किल्लत और कालाबाजारी से जान पर आफत!
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संक्रमण काल में भी जीवनरक्षक दवाओं-ऑक्सीजन की किल्लत और कालाबाजारी से जान पर आफत!

Bihar Corona News: राजधानी पटना के प्राइवेट अस्पतालों ने ऑक्सीजन सिलिंडर की भारी किल्लत से सरकार को आगाह किया है.  

संक्रमण काल में भी हो रही है Black Marketing. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: कोरोना के बढ़ते मरीज और उनकी बिगड़ती सेहत ने सरकार के होश उड़ाकर रख दिए हैं. बिहार में हर दिन लगभग 5 हजार से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं. उपलब्ध सुविधाओं के हिसाब से देखें तो ये आंकड़े बेहद डरावने हैं. प्रदेश के अस्पताल पहले ही बदहाली से जूझ रहे हैं, ऐसे में संक्रमण के शिकार को दी जाने वाली सुविधाओं का टोटा लोगों की जान पर भारी पड़ सकता है.

बिहार की राजधानी पटना से आई एक खबर ने सबको सकते में डाल दिया है. दरअसल, जिन प्राइवेट अस्पतालों को सुविधाओं के लिहाज से सरकारी अस्पतालों से बेहतर माना जाता है, जहां भले ही पैसे ज्यादा खर्च होते हैं लेकिन सुविधाएं मनमाफिक मिल जाती हैं. वही प्राइवेट अस्पताल अब नए कोरोना मरीजों को भर्ती करने से हाथ खड़े कर रहे हैं.

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अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर की भारी किल्लत 
COVID-19 के शिकार लोगों को स्थिति बिगड़ने पर जो सबसे ज्यादा परेशानी होती है, वो है सांस लेने में तकलीफ होना. खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर मरीज सांस लेने में कठिनाई महसूस करने लगता है. जिसके बाद उसे तुरंत ऑक्सीजन मास्क लगाने की जरूरत पड़ती है लेकिन यही जीवनरक्षक ऑक्सीजन अब अस्पतालों में बेहद कम उपलब्ध है. राजधानी पटना के प्राइवेट अस्पतालों ने ऑक्सीजन सिलिंडर की भारी किल्लत से सरकार को आगाह किया है.

पटना के प्राइवेट अस्पतालों के साथ-साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए (IMA) की बिहार इकाई ने भी कहा है कि अगर ऑक्सीजन सिलिंडर की सप्लाई जल्द से जल्द नहीं बढ़ाई गई तो हालात बेहद खराब हो सकते हैं. कई प्राइवेट अस्पतालों ने ऑक्सीजन सिलिंडर की किल्लत की वजह से नए मरीजों को भर्ती करने से इनकार कर दिया है.

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ऑक्सीजन की डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर
आईएमए बिहार के कार्यकारी अध्यक्ष का कहना है कि राजधानी पटना की ही सिर्फ बात करें तो यहां वर्तमान में जितनी संख्या में ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध हैं उससे लगभग 7 गुना ज्यादा सिलिंडर की दरकार है. ऐसे में डिमांड और सप्लाई का अंतर बहुत ज्यादा हो गया है. जिसकी भरपाई सरकार को तुरंत करने की जरूरत है. अगर ऐसा तुरंत नहीं हुआ तो गंभीर मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाएगा.

रेमडेसिविर और अन्य जीवनरक्षक दवाएं बाजार से गायब 
बिहार में चिंता सिर्फ ऑक्सीजन सिलिंडर की किल्लत तक ही सीमित नहीं है. चुनौतियां एक साथ कई हैं. मसलन, राजधानी पटना में Remdesivir जैसी जीवनरक्षक दवा उपलब्ध ही नहीं है. इसके अलावा अन्य जरूरी दवाएं भी मार्केट से नदारद हैं. इसकी वजह से मरीज की सेहत खराब होने पर उसके लिए दवा उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती बन गया है. मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इसके लिए भी सरकार से तुरंत कदम उठाने को कहा है.

संक्रमण काल में भी शुरु हो गई ब्लैक मार्केटिंग 
एक तरफ पूरा देश Corona के कहर से कराह रहा है, बिहार भी इससे अछूता नहीं है. लेकिन ऐसे कठिन हालात में भी कालाबाजारी करने वाले सक्रिय हो गए हैं. ऑक्सीजन सिलिंडर से लेकर जीवनरक्षक दवाओं की जमकर कालाबाजारी हो रही है. जरूरी दवाएं वास्तविक कीमत से 10 गुना तक ज्यादा कीमत पर मिल रही है. इस ब्लैक मार्केटिंग पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत है.

महामारी के दौर में भी नहीं थम रही सियासत
जब पूरा देश इस जानलेवा महामारी से जूझ रहा है, तब भी राजनीतिक रोटी सेंकने वालों की कमी नहीं है. सत्तापक्ष और विपक्ष में इस दौरान भी जमकर तू-तू-मैं-मैं हो रही है. विपक्ष का कहना है कि सरकार ने कोरोना को लेकर बड़ी लापरवाही बरती, जिसका खामियाजा लोगों की जान गंवाकर हम चुका रहे हैं. वहीं, सत्तापक्ष का कहना है कि ये महामारी सिर्फ बिहार या भारत तक सीमित नहीं है. पूरी दुनिया इससे त्राहि-त्राहि कर रही है इसलिए विपक्ष को आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर सत्तापक्ष और जनता के साथ मिलकर काम करना चाहिए.

मेडिकल एक्सपर्ट्स भी कोरोना के नए रूप से हैरान 
बिहार के तमाम सीनियर डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर बेहद डरावनी है. इस बार RT-PCR की जांच में भी इस बीमारी का पता लगाने में परेशानी आ रही है. कई बार ऐसे लोगों की रिपोर्ट भी निगेटिव आ रही है जिनके क्लीनिकल ट्रायल में पॉजिटिव होने की पुष्टि हो रही है. ऐसे में जब तक कि ये पता चले कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है, तब तक उसकी हालत बिगड़ चुकी होती है.

इसलिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिहार इकाई का कहना है कि सभी अस्पतालों को फुल प्रूफ करना होगा. जिससे कि अचानक से मरीज की हालत बिगड़ने पर बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके और मरीज की जान बचाई जा सके.