बिहार विधान मंडल का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. सत्र के दौरान मात्र एक ही सवाल का जवाब सदन में हो सका.
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आशुतोष चंद्रा/पटनाः बिहार विधान मंडल का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. सत्र के दौरान मात्र एक ही सवाल का जवाब सदन में हो सका. सदन से दो विधेयक और द्वितीय अनुपूरक बजट हंगामें के बीच जरूर पास हो गया, लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि पांच दिनों में माननीयों के भत्ते पर इकत्तीस लाख अस्सी हजार रुपये खर्च करने के बाद जनता को क्या मिला.
बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में जो उम्मीद थी उतना भी विधायी कार्य नहीं हो सका. पांच दिनों के सत्र में पहला दिन शोक प्रस्ताव के साथ सदन स्तगित हो गया. दूसरे दिन विपक्ष ने लॉ एण्ड आर्डर को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यस्थगन प्रस्ताव को कार्य संचालन नियमावली के अनुरुप नहीं मानकर खारिज कर दिया. पूरे विपक्ष ने मामले पर बहस की मांग को लेकर सदन की कार्रवाई पूरी तरह बाधित कर दी. मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक विजय शंकर दूबे ने कहा कि सत्र के दौरान सरकार की मंशा विपक्ष के सवालों का जवाब देने को लेकर थी ही नहीं.
तीसरे दिन सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर आरजेडी ने सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया. प्रस्ताव को फिर से विधानसभा अध्यक्ष ने नियम संगत नही मानते हुए खारिज कर दिया. पूरे विपक्ष ने मामले पर बहस के लिए दोनों सदनों में जमकर हंगामा मचाया. हंगामा बढता देख विधान परिषद के सभापति ने आरजेडी के पांच एमएलसी को एक दिन के सस्पेंड कर दिया. फैसले से नाराज राबडी देवी कांग्रेस और आरजेडी के एमएलसी के साथ विधान परिषद में धरने पर बैठ गयीं. सभापति की ओर से निलंबन खत्म होने के बाद राबडी देवी का धरना टूटा. लेकिन इस बीच जनहित से जुडे कई सवाल छूट गये. आरजेडी के विधायक रामानुज प्रसाद कहते हैं कि नाली गली से जुडे मुद्दे से बडा और राज्य हित का मुद्दा पार्टी ने उठाया था. जिसे समझने की जरुरत है.
चौथे दिन सीपीआई एमएल की तरफ से बिहार के शेल्टर होम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया गया. प्रस्ताव एकबार फिर सदन में खारिज हो गया. लेकिन विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ जमकर हंगामा मचाया . सदन नहीं चल सका. मंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि विपक्ष ने जनहित से जुडे मुद्दे में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई. जनता विपक्ष को कभी माफ नहीं करेगी.
पांचवें दिन सूखा और महादलित परिवारों को घर से बेघर किये जाने के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया. कार्यस्थगन प्रस्ताव स्वीकार नहीं होने से विपक्ष बेहद नाराज दिखा. लेकिन मंत्री महेश्वर हजारी का दावा था कि सरकार और विधानसभा अध्यक्ष सदन चलाना चाहते थे. लेकिन विपक्ष सदन चलाने में दिलचस्पी नहीं लेता दिखा.
आपको जानकर हैरत होगी कि सत्र के दौरान विधायकों प्रतिदिन 2 हजार रुपये भत्ते के रूप में दिए जाने का प्रावधान है. विधान मंडल में कुल 318 सदस्य हैं. जिनपर प्रतिदिन 6 लाख 36 हजार रुपये खर्च हुए. पांच दिनों के कार्यों के दौरान हमारे माननीय विधायकों की जेब में 31 लाख अस्सी हजार रुपये चले गये. लेकिन जनता को क्या मिला यह बड़ा सवाल है.
पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र में हुए कुल काम
विधानसभा में 710 सवालों में 558 स्वीकृत हुए.
10 अल्पसूचित, 490 तारांकित और 58 अतारांकित थे.
सदन में केवल एक सवाल का जवाब हुआ.
300 सवालों के जवाब आनलाईन किये गये.
126 ध्यानाकर्षण सूचनाएं दी गयीं जिसमें 8 स्वीकृत हुए. सदन में किसी का जवाब नहीं हो सका.
विधानसभा में 163 तारांकित सवालों के जवाब सदन पटल पर रखे गये.