दया सिन्हा की टिप्पणी की निंदा करते हुए ललन सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी से उनसे पद्मश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग की है.
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पटना: बीजेपी ने जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा पर बुधवार को तंज कसा है. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा है कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए नकारात्मक प्रचार भी मेवा देने वाला पेड़ है. आश्चर्य तब होता है जब समझदार राजनैतिक कार्यकर्ता भी इनकी जाल में फंस कर अपने प्रचार में लग जाते हैं यह भी नहीं सोचते कि इससे समाज को कितना नुकसान हो रहा है.
संजय जायसवाल ने किया पलटवार
उन्होंने कहा कि अगर इन्हें भरपेट मेवा न दिया जाए तो इन्हें उस पेड़ की जड़ में मट्ठा डालने से भी परहेज नहीं होता. यही वजह है कि बुद्धिजीवियों द्वारा इन्हें 'राजनीतिक भस्मासुर' की संज्ञा दी जाती है. बिहार में भी एनडीए सरकार की मजबूती और अनुशासन के कारण कुछ 'खास नेताओं' को मनमुताबिक मेवा नहीं मिल रहा है.
'बेवजह बयान को दिया जा रहा तूल'
उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव हैं, जिनकी तुलना की ही नहीं जा सकती. वहीं, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा, 'सम्राट अशोक पर जिस लेखक (दया प्रकाश सिन्हा) ने आपत्तिजनक टिप्पणी की, उनका आज न भाजपा से कोई संबंध है और न उनके बयान को बेवजह तूल देने की जरूरत है. भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर कोई सांस्कृतिक प्रकोष्ठ नहीं है.'
पुरस्कार देने का क्या मतलब?
इधर, संजय जायसवाल के बयान पर जेडीयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पलटवार किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'अच्छा लगा, संजय जायसवाल ने सम्राट अशोक की औरंगजेब से की गई तुलना को नकारात्मक प्रचार से मेवा प्राप्त करने वाला पेड़ बताया. मगर ऐसे कुकर्म के बदले पुरस्कार से नवाजा जाना आखिर क्या साबित करता है? देर से ही सही, भूल-सुधार के लिए पुरस्कार वापसी की मांग पर आपका समर्थन है?'
क्या है विवाद?
दरअसल, बीते दिनों इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस के उपाध्यक्ष और भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के संजोयक दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) ने सम्राट अशोक पर टिप्पणी करते हुए आरोप लगाया था कि अब तक इतिहास और साहित्य में अशोक के उजले पक्ष को ही दर्शाया गया है. जबकि वह एक क्रूर शासक था.
राष्ट्रपति-पीएम मोदी से की गई मांग
दया सिन्हा की टिप्पणी की निंदा करते हुए ललन सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी से उनसे पद्मश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग की है. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने भी इसको लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था.