खबर के मुताबिक, रेस्क्यू किये गये अजगर की लंबाई क़रीब 14 से 15 फीट और वजन लगभग 80 से 90 किलोग्राम था.
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बगहां: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहां स्थित वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व से सटे रिहायशी इलाकों में वन्य जीवों के निकलने का सिलसिला लगातार जारी है. रविवार देर रात वाल्मीकिनगर के हवाई अड्डा चौक कॉलोनी के एक घर में से भारी-भरकम और विशालकाय अजगर के निकलने से हड़कंप मच गया. खबर मिलते ही वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई. सूचना मिलने पर वहां पहुंची वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत कर अजगर का सHल रेस्क्यू कर लिया. जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली.
बता दें कि, अजगर रामू भगत के घर से निकला. रामू भगत के लड़के जितेंद्र ने बताया कि अजगर एक बिल्ली को पकड़ने के लिए घर में घुस गया था. लेकिन बिल्ली उसकी गिरफ्त से भाग गई. उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दी. वन विभाग की टीम ने सफलतापूर्वक अजगर का रेस्क्यू कर लिया है.
खबर के मुताबिक, रेस्क्यू किये गये अजगर की लंबाई क़रीब 14 से 15 फीट और वजन लगभग 80 से 90 किलोग्राम था. रेस्क्यू के बाद वनकर्मियों ने अजगर को वीटीआर जंगल के अंदर छोड़ दिया.
दरअसल, वीटीआर से सटे इलाकों में अक्सर वन्य जीवों की चहलकदमी रहती है. शिकार की तलाश में वो रिहायशी इलाकों में घुस जाते हैं. रिहायशी इलाकों में घुसने वाले जानवरों में ज्यादातर तेंदुआ, मगरमच्छ और अजगर की संख्या होती है. अजगर चूहे और अन्य छोटे जानवरों को दबोचने के लिए जंगलों से निकलकर रिहायशी इलाके में प्रवेश कर जाते हैं.
बता दें कि, वाल्मीकिनगर से सटे रिहायशी इलाके के लोग जंगली जानवरों की रक्षा करने में तत्पर दिखाई देते हैं. अगर कोई जानवर जंगल से निकल कर या भटककर उनके बीच आता है तो वो लोग तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना देते हैं. इसके बाद वन विभाग की टीम वहां पहुंचकर उसका सफल रेस्क्यू करती है. इसमें ग्रामीण भी अपना सहयोग देते हैं. हालांकि, कुछ जगहों पर ऐसा भी देखने को मिला है कि वन विभाग की टीम के नहीं पहुंचने पर ग्रामीण स्वयं जानवरों को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ आते हैं.
इधर, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वाल्मीकिनगर रेंज के रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि अजगर का सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर उसे जंगल में छोड़ दिया गया है. उन्होंने बताया कि जंगल से सटे होने के कारण आस-पास के हवाई अड्डा के तरफ जंगली जानवर अक्सर चले जाते हैं. वन विभाग इसको लेकर गम्भीर है लेकिन चूंकि VTR की खुली सीमा है लिहाजा इस पर रोक लगाने में थोड़ी दिक्क़तें आती हैं. फिर भी किसी जान-माल के नुकसान का वन विभाग की ओर मुआवजा जरुर दिया जाता है.