Patna: बिहार के सरकारी स्कूलों को सौर ऊर्जा से रौशन करने की योजना पर काम शुरू हो गया है. शिक्षा विभाग ने सूबे के उच्च शैक्षणिक संस्थानों से कहा है कि वो ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों की बजाय सौलर एनर्जी का इस्तेमाल करें. शिक्षा विभाग ने बकायदा एक चिट्ठी जारी कर सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से सौलर एनर्जी पर काम करने को कहा है. सौलर एनर्जी (Solar Energy) से शिक्षण संस्थानों को बिजली पहुंचाने की इस योजना में शिक्षा विभाग ब्रेडा की मदद लेगा.


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सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाने की कवायद में जुट शिक्षा विभाग
दरअसल, पटना के सरकारी शैक्षणिक संस्थान जैसे-मगध महिला कॉलेज (Magadha Mahila College), जेडी वीमेंस कॉलेज (JD Women's College),बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल (Bankipur Girls High School) पिछले दो सालों से सौर ऊर्जा से रौशन हो रहे हैं. लेकिन अब शिक्षा विभाग राज्य भर के सरकारी स्कूलों खासकर उच्च शैक्षणिक संस्थानों में सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाने की कवायद में जुट गया है.


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सौर्य ऊर्जा से रौशन करने की योजना
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को चिट्ठी लिखी है. संजय कुमार ने कहा है कहा है कि सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के प्रिंसिपल या हेडमास्टर इसमें सहयोग करें. जल जीवन हरियाली योजना (Jal Jeevan Hariyali Yojana) के तहत विभाग ने सौलर ऊर्जा से रौशन करने की योजना बनाई है. मगध महिला कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर नमिता कुमारी के मुताबिक, सरकार की ये योजना काफी बेहतर है लेकिन इसपर और काम किए जाने की जरूरत है.


BREDA की मदद लेगा शिक्षा विभाग
अब सवाल ये है कि आखिर उच्च शैक्षणिक संस्थानों में सौलर एनर्जी से बिजली कैसे पहुंचेगी? शिक्षा विभाग इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बिहार रिन्यूबेल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (BREDA) की मदद लेगा. दरअसल ब्रेडा का काम ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों से अलग हटकर बिजली के लिए गैर परंपरागत स्रोतों का इस्तेमाल करना होता है. अब शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों में सौर ऊर्जा के जरिए बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारत किया है.


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5 फीसदी रखा गया लक्ष्य
लक्ष्य है कि कम से कम 5 फीसदी बिजली की आपूर्ति सौर एनर्जी से हो, और अलग-अलग एजेंसी के माध्यम से इस मिशन को पूरा किया जा रहा है. मगध महिला कॉलेज में सूर्यम इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड सौर ऊर्जा के जरिए बिजली दे रहा है तो बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल में सोडेक्स एजेंसी काम में लगी है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर सोलर एनर्जी के जरिए बिजली पाने के लिए संस्थानों को क्या करना होता है?


बिजली के भारी बिल से छुटकारा
जानकारी के मुताबिक, जिन संस्थानों की पहचान सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CIL) करता है उस संस्थानों को इसके लिए एक पैसे भी खर्च नहीं करने होते हैं. संबंधित संस्थानों में 2 या 3 मैगावाट तक की सोलर एनर्जी (Solar Energy) पैदा करने वाले सोलर प्लेट लगाए जाते हैं. संबंधित संस्थान सूर्यम इंटरनेशनल जैसी एजेंसी को 4 रुपये 59 पैसे प्रति यूनिट की फिक्स रेट से पचीस साल तक के लिए बिजली का बिल चुकाते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो बिजली के भारी भरकम बिल से छुटकारा.


आत्मनिर्भर बन चुका है बिहार
बिहार हालांकि बिजली के मामले में आत्मनिर्भर हो चुका है. गांव-गांव में बिजली पहुंच चुकी है. लेकिन शिक्षा विभाग इससे आगे की सोच रहा है. हालांकि सौर ऊर्जा से सरकारी स्कूलों को रौशन करने की योजना का ये आरंभिक चरण है. अगर सही सोच और ईमानदारी से काम हुआ तो बिहार के शैक्षणिक संस्थान भी सौर ऊर्जा से प्रकाशित होंगे.