Makar Sankranti Katrani Chura: भागलपुर के क्षेत्र में कतरनी धान का खासतौर पर उत्पादन होता है. ये छोटे दाने का खुशबूदार धान है, जो बासमती से अलग स्वाद के लिए अपनी अलग ही पहचान रखता है.
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पटना : Makar Sankranti: बात जब बिहार की होती है तो जेहन में कुछ खास त्योहार और जुबां पर कुछ खास पकवानों का स्वाद आ ही जाता है. छठ की छटा निराली है तो मकर संक्रांति की बात ही अनोखी है. लिट्टी चोखा में अजब बात है और दही-चूड़ा का अपना ही स्वाद है. सूर्य देव अभी दक्षिणायन में हैं और इसी हफ्ते उनका उत्तरायण में प्रवेश होने वाला है.
अलग है बिहार की पंरपरा
भगवान सूर्य के उत्तरायण में जाने और मकर राशि में प्रवेश करने कि तिथि को कहते हैं मकर संक्रांति. पूरे देश की परंपरा से अलग बिहार में इस दिन की परंपरा ही अलग है. दरअसल, मकर संक्रांति के पावन दिन बिहार में दही-चूड़ा खाए जाने का प्रचलन है. जब बात आती है दही चूड़ा की तो याद आता है, भागलपुर का स्वादिष्ट कतरनी चूड़ा.
150 सालों की विरासत है कतरनी चूड़ा
भागलपुर के क्षेत्र में कतरनी धान का खासतौर पर उत्पादन होता है. ये छोटे दाने का खुशबूदार धान है, जो बासमती से अलग स्वाद के लिए अपनी अलग ही पहचान रखता है. तकरीबन 100 से 150 साल की विरासत को सहेजने वाला यह धान, भागलपुर, बांका, जगदीशपुर में अधिक उपजता है. इसीलिए भागलपुर को इसके लिए खास प्रसिद्धि मिली है.
ऐसी मिट्टी में होता है कतरनी चूड़ा
इस धान की खासियत है कि यह कम उर्वरा वाली मिट्टी में अधिक होता है. दरअसल अधिक उर्वरा वाली मिट्टी में बड़ा पौधा होकर गिर जाता है. यहां पर बाजार व पहचान के अभाव में कतरनी की खेती में लगातार कमी आयी है. इससे क्षेत्र में कतरनी की खूशबू कम हो गयी. बिहार कृषि विश्वविद्यालय एवं जिला कृषि विभाग के प्रयास से भागलपुरी कतरनी को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग भी मिल चुका है.
ये हैं कतरनी उत्पादक क्षेत्र
कतरनी उत्पादन के लिए भागलपुर के जगदीशपुर, सुल्तानगंज, मुंगेर के तारापुर, बांका के रजौन, अमरपुर एवं जमुई के कुछ खास क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है. यहां पर अधिकतर किसान अलग-अलग कारणों से कतरनी की खेती करना छोड़ चुके हैं. जबकि, यहां पर कतरनी की खेती बेहतर हो सकती है. हालांकि साल 2018 में इसके लिए कृषि औद्योगिक उपाय किए गए हैं.
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को भी पसंद
भागलपुर से हर वर्ष मकर संक्रांति से पूर्व कतरनी चूड़ा बिहार भवन भेजा जाता है. इस वर्ष भी बिहार भवन की ओर से दो क्विंटल कतरनी चूड़ा की मांग की गई थी. उच्च क्वालिटी का चूड़ा व चावल जगदीशपुर व सुल्तानगंज में तैयार कराया गया. इसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी भेजा गया है. सीएम नीतीश कुमार की ओर से भी चूड़ा और दही का भोज हर मकर संक्रांति के मौके पर दिया जाता है.
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