पटना में स्वच्छता अभियान की तैयारी हुई तेज, पिछले सर्वे में 44वें स्थान पर थी बिहार की राजधानी
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पटना में स्वच्छता अभियान की तैयारी हुई तेज, पिछले सर्वे में 44वें स्थान पर थी बिहार की राजधानी

 पटना की सड़कें और गलियां इन दिनों कुछ ज्यादा ही साफ दिखाई दे रही हैं. इस समय पूरे पटना में चारो तरफ सफाई देखी जा सकती है. स्वच्छता सर्वेक्षण में खरे उतरने के लिए नगर निगम दिन रात मेहनत में लगे हुए हैं.

(फाइल फोटो)

Patna: पटना की सड़कें और गलियां इन दिनों कुछ ज्यादा ही साफ दिखाई दे रही हैं. इस समय पूरे पटना में चारो तरफ सफाई देखी जा सकती है. स्वच्छता सर्वेक्षण में खरे उतरने के लिए नगर निगम दिन रात मेहनत में लगे हुए हैं. निगम की सभी टीमें सर्वे से पहले की तैयारी में लगी हैं क्योंकि कुछ समय में पूरे पटना शहर की स्वच्छता को लेकर सर्वे किया जाना है. पटना कि हर एक जगह जिले नगर को देखा जायेगा. इस सर्वे और काम काज के बीच पटना की जनता का कहना है कि सफाई को लेकर पटना में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. पिछली बार जिस तरह से पटना की रेंकिंग सफाई में लगभग सबसे नीचे रही थी उसी कारण जनता नगर निगम की सफाई पर सवाल उठा रही है. 

  1. पटना में चल रही चारो तरफ सफाई, किया जायेगा सर्वे
  2. पिछले साल के मुकाबले कितना साफ पटना 
  3.  

स्वच्छता रैंकिंग में सुधार की कोशिश 
हर साल केंद्रिय शहरी और आवास मंत्रालय स्वच्छ शहरों की सूची जारी करता है. पिछली बार पटना साफ सफाई के मामले में काफी पीछे रहा है. पिछले वर्ष पटना की रैंकिंग बेहद खराब रही है. 10 लाख की आबादी वाले 48 शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण किया गया था. जिसमें से पटना ने 44वां स्थान प्राप्त किया. हालांकि पटना मे इस वर्ष साफ-सफाई का काम जोरों - शोरों से है. इस समय सुबह और शाम दोनों समय सडंकों और गलियों की साफ-सफाई की जा रही है. पटना नगर निगम ने जागरूकता के लिए अभियान भी चलाया है जिसके लिए सफाई एम्बेसडर भी बनाये हैं जो की अलग शहरों से जुडे़ हुऐ हैं. पटना नगर निगम का कहना है कि कुछ महीनों बाद जब आंकडे़ सामने आयेंगे तब पटना बेहतर शहर के रूप में सामने आयेगा. इस बार पटना की रैंकिग में सुधार होने की आशा की जा रही है.

पटना के आंकड़े सुधरेगें या नहीं ये तो कुछ वक्त के बाद पता चलेगा . पटना में केंद्र के कई शहरों में आज भी सफाई देखने को नहीं मिलती है. इसका कारण है सफाई को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी. कई मापदंड़ों पर किसी भी शहर को बेहतरीन अंक मिलते हैं जिसमें सिटीजन फीडबैक भी शामिल है. जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है .

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