Shani Jayanti:जानिए कैसे हुआ था शनिदेव का जन्म, वट सावित्री व्रत को मनेगी शनि जयंती
Shani Jayanti:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व काफी है. ज्योतिष के मुताबिक, शनि देव सेवा और कर्म के कारक हैं. ऐसे में इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. शनि देव न्याय के देवता हैं उन्हें दण्डाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है.
पटनाः Shani Jayanti: ज्येष्ठ अमावस्या को शनि देव की जयंती मनाई जाती है. इस बार इस तिथि का महत्व और भी बढ़ रहा है. दरअसल, पौराणिक गाथाओं के मुताबिक, शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को हुआ था. साल 2022 यानी कि इस बार ये अमावस्या 30 मई को पड़ रही है. इसी दिन वट सावित्री व्रत भी पड़ रहा है. इसे बरसाइत कहा जाता है. उत्तर प्रदेश-बिहार और झारखंड में इस व्रत की बहुत मान्यता है. सोमवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ रही है, इसलिए यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी. सनातन परंपरा में इसका भी विशेष महत्व है.
ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व काफी है. ज्योतिष के मुताबिक, शनि देव सेवा और कर्म के कारक हैं. ऐसे में इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. शनि देव न्याय के देवता हैं उन्हें दण्डाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है. शनि शत्रु नहीं बल्कि संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों का फल प्रदान करते हैं.
जानिए क्या है शनिदेव की जन्म कथा
शनि देव के जन्म से संबंधित एक पौराणिक कथा कही जाती है. इस कथा के अनुसार शनिदेव सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं. सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था और उन्हें मनु, यम और यमुना के रूप में तीन संतानें हुईं. विवाह के बाद कुछ वर्षों तक संज्ञा सूर्य देव के साथ रहीं लेकिन अधिक समय तक सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाईं. इसलिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्य देव की सेवा में छोड़ दिया और कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ. हालांकि सूर्य देव को जब यह पता चला कि छाया असल में संज्ञा नहीं है तो वे क्रोधित हो उठे और उन्होंने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद से ही शनि और सूर्य पिता-पुत्र होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति बैर भाव रखने लगे.
इसी दिन मनाया जाएगा वट सावित्री व्रत
वट सावित्री व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों का विशेष पर्व है. इस व्रत का पूजन ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता है. इस दिन महिलाएं बरगद के वृक्ष का पूजन करती हैं. यह व्रत स्त्रियों को अखंड सौभाग्यव देता है और परिवार में मंगल ही मंगल बनाए रखने का आशीष देता है. इस दिन सत्यवान-सावित्री की यमराज के साथ पूजा की जाती है.
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