महाबोधि मंदिर में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं के उपयोग में आएगी जीविका दीदियों द्वारा बनाई गई कपड़े की चप्पलें
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महाबोधि मंदिर में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं के उपयोग में आएगी जीविका दीदियों द्वारा बनाई गई कपड़े की चप्पलें

बोधगया स्थित विश्वप्रसिद्ध महाबोधि मंदिर में चमड़े की चप्पल पहनकर जाना वर्जित है. यही सोचकर ये जीविका से जुड़ी महिलाएं यूट्यूब से कपड़े और जूट की चप्पल बनाने का वीडियो देखकर इस काम में लग गईं.

हुनरमंद बन रहीं गया की महिलाएं, प्रशिक्षण के बाद बनाने लगी हैं जूट की चप्पलें.

Gaya: मोक्ष और ज्ञान की नगरी गया की महिलाएं अब सोशल साइट्स के जरिए हुनरमंद बन रही हैं और YouTube पर अपलोड किए गए वीडियो के जरिए ट्रेनिंग लेकर जूट आधारित कुटीर उद्योग को बढ़ावा दे रही हैं.  महिलाओं के उद्यम को बढ़ावा देने के लिए गया की जीविका दीदियों के प्रयास की जहां सराहना हो रही है वहीं महिलाएं स्वरोजगार के जरिए आत्मनिर्भर भी बन रही हैं.

सोशल साइट्स से स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण लेकर बन रहीं हुनरमंद 
गया जिले के बोधगया प्रखंड के रति बिगहा गांव की जीविका से जुड़ी महिलाएं जूट की चप्पल बनाकर रोजगार पा रही हैं,  और इसके लिए ट्रेनिंग लेने वह कहीं और नहीं गईं बल्कि इंटरनेट का इस्तेमाल कर  सोशल मीडिया और यूट्यूब पर डाले गए वीडियो के सहारे उन्होनें ट्रेनिंग ली और आज जूट का उपयोग कर चप्पल बना रही हैं. जीविका दीदियों का कहना है कि वो पहले पांवदान आदि बनाने का कार्य करती थी इसी बीच यूट्यूब से कपड़े की चप्पल बनाने का वीडियो देखने के बाद कपड़े की चप्पल बनाने लगीं. जिससे उन्हें ज्यादा आमदनी हो रही है.

महाबोधि मंदिर के श्रद्धालुओं के उपयोग में लाई जाती हैं जूट की चप्पलें
बोधगया स्थित विश्वप्रसिद्ध महाबोधि मंदिर में चमड़े की चप्पल पहनकर जाना वर्जित है. यही सोचकर ये जीविका से जुड़ी महिलाएं यूट्यूब से कपड़े और जूट की चप्पल बनाने का वीडियो देखकर इस काम में लग गईं. महिलाओं ने महाबोधि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के बीच अपने प्रोडक्ट की बिक्री करनी भी शुरू कर दी है, और श्रद्धालु भी जूट की चप्पल धारण कर आराम से मंदिर परिसर में घूम सकते हैं. ऐसे में उनके लिए भी दर्शन करना और मंदिर में घुमना आसान हो गया है. 

पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण से आया जीविका दीदी को कपड़े का चप्पल बनाने का आइडिया 
जीविका दीदियों का कहना है कि एक बार महाबोधि मंदिर के बारे में बोलते हुए पीएम ने कहा था कि चमड़े की चप्पल पहनकर महाबोधि परिसर में ना जाएं, तभी से महिलाओं को लगा कि यहां के श्रद्धालुओं के लिए कपड़े या फिर जूट की चप्पल बना कर रोजगार भी पाया जा सकता है और श्रद्धालुओं के लिए एक बेहतर सामान भी उपलब्ध हो सकेगा. जब जीविका दीदियों ने चप्पल बनाने की ठानी तब जीविका पटना के द्वारा बिगहा गांव की जीविका से जुड़ी महिलाओं को जूट की चप्पल बनाने के लिए प्रशिक्षण दी गई. और इसके लिए किसी प्रशिक्षण केंद्र नहीं बल्कि यूट्यूब वीडियो का इस्तेमाल किया गया.

जूट की चप्पल बनाने में लगी हैं 40 से 50 महिलाएं
आज जीविका समूह की 130 महिलाओं में से 40 से 50 महिलाएं जूट की चप्पल बनाने में जुट गई है. जीविका समूह की सीएम ममता देवी बताती हैं कि बोधगया मन्दिर प्रबन्धकारिणी समिति को इसकी जानकारी हुई जिसके बाद 50 चप्पल बनाने का पहला आर्डर मिला इसकी आपूर्ति कर दिए जाने के बाद अब 200 जूट से बनी चप्पलों को बनाने का आर्डर आया है.

घर बैठे मिला रोजगार
चप्पल बना रही जीविका दीदी बताती हैं कि पढ़ने के साथ साथ घर बैठे एक रोजगार मिला है जिससे पढ़ाई का खर्चा उठाने में कुछ मदद मिल जाती है. वहीं कई महिलाएं जो गृहिणी थीं घर का कामकाज करने तक ही सीमित थी, वो आज वैसी गृहणी जूट की चप्पल बनाने में जुटी हैं और बताती हैं कि इससे खुद का खर्च आराम से निकल जाता है. 

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गर्मी के दिनों में श्रद्धालुओं केलिए वरदान बन रही जूट से बनी चप्पल
महाबोधि मंदिर में बाहर और अंदर के हिस्से में कारपेट बिछा हुआ है इसके बावजूद गर्मी के दिनों में श्रद्धालुओं के पैरों में जलन की समस्या महसूस होती है, ऐसे में यह कपड़े और जूट की चप्पलें श्रद्धालुओं के लिए वरदान साबित हो रही हैं, बाहर से आने वाले श्रद्धालु इसे खूब पसंद कर रहे हैं. इन चप्पलों की खरीदी से महिलाओं को रोजगार मिल रहा है तो श्रद्धालुओं को सुविधा.

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