Khadi: एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा खादी का कारोबार, जानिए सात दशक का सफर
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Khadi: एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा खादी का कारोबार, जानिए सात दशक का सफर

Khadi: पीएम मोदी का आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का सपना, महात्मा गांधी के उसी सपने की एक कड़ी है. भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के खादी ब्रांड ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1.15 लाख करोड़ रपपये का कारोबार करके देश की सभी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों को पीछे छोड़ दिया.

Khadi: एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा खादी का कारोबार, जानिए सात दशक का सफर

पटनाः Khadi: कभी महात्मा गांधी ने एक सपना देखा था. सपना था कि हर तन कपड़े से ढंका हो. ये सपना उन्होंने चंपारण में देखा था और यही वो भूमि थी, जहां गांधी ने वस्त्र त्याग कर दिए और महात्मा कहलाए. चंपारण सत्याग्रह के ही साथ उन्होंने खादी आंदोलन भी शुरू किया और भारत की आत्मनिर्भरता वाले हवन में पहला होम डाला. इसी राह पर चलते हुए आज खादी का कारोबार एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है. 

खादी ने कई कंपनियों को छोड़ा पीछे
पीएम मोदी का आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का सपना, महात्मा गांधी के उसी सपने की एक कड़ी है. भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के खादी ब्रांड ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1.15 लाख करोड़ रपपये का कारोबार करके देश की सभी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों को पीछे छोड़ दिया.

2021-2022 वित्तीय वर्ष में बनाया रिकॉर्ड
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के मुताबिक खादी ने पहली बार 2021-2022 वित्तीय वर्ष में 1.15 लाख  करोड़ रुपये का कारोबार किया है जो देश में किसी भी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स  (FMCG) कंपनी के लिए रिकॉर्ड है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह 95742 करोड़ रुपये था. जारी आकड़ों के मुताबिक साल 2014 से अब तक की तुलना में खादी के उत्पादन में 191 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. बीते दो वित्तीय वर्षों में कारोबार 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. वहीं 2014 से अब तक खादी की बीक्री में 332 % की वृद्धी दर्ज की गई है.

जगह-जगह खोले गए सूत कातने के केंद्र
बापू का सपना था, हर जन में हो खादी, हर मन में हो खादी, हो बढ़ावा इस कदर, की हर तन में हो खादी, पर आजादी के बीते सात दशकों के बाद बापू का सपना पूरा हो रहा है. स्वदेशी वस्त्र के रूप में खादी को अपनाने की हुंकार गुलाम भारत में भरी गयी थी, लोगों ने कुछ हद तक अपनाया भी, जगह जगह सूत कातने के केंद्र खोले गए, जिसका दो उद्देश्य था जहां एक तरफ लोग खुद से बनाये कपड़े को पहनेगें, वहीं दूसरों के लिए कपड़े तैयार कर उसकी बिक्री कर खुद की बेरोजगारी वाली लाचारी दूर कर स्वावलंबी बनेंगें, विदेशी कपड़ों की अच्छी ब्रांडिंग और सस्ते दामों ने खादी के बाजार की हालात को धीरे धीरे खस्ता कर दिया. भारत सरकार के आंकड़े के अनुसार राज्य से लेकर देश स्तर पर खादी अच्छा व्यवसाय कर रहा है, जो भी कमी थी उसे सुधारा गया है. इसके बाद खादी निरंतर उन्नति की सीढ़ी चढ़ रहा है. 

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