एक ओर विद्यालय बुनियादी सुविधाओं की मार झेल रहा है तो वहीं, विद्यालय प्रबंधन पर्यावरण को लेकर भी जागरुक नहीं है. क्योंकि यहां आज के दौर में भी विद्यालय के बच्चों के लिए बनाया जाने वाला मध्याह्न भोजन गैस की जगह जलावन के उपयोग से तैयार किया जाता है.
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बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय के भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय संजात के बच्चे आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित दिख रहे हैं. इस स्कूल में न तो पानी पीने की व्यवस्था है न ही शौचालय का. ऐसे में, छात्र और छात्राओं सहित शिक्षकों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पानी पीने के लिए छात्र और छात्राओं को स्कूल के बाहर जाना पड़ता है. इतना ही नहीं, उनको शौचालय जाने के लिए भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस स्कूल में करीब 665 छात्र और छात्राएं अपना भविष्य संवारने के लिए आते हैं. लेकिन मूलभूत सुविधाओं की कमी की वजह से विद्यालय के बच्चों को इधर-उधर भटकना पड़ता है.
मध्याह्न भोजन के लिए भी गैस की जगह जलावन का किया जाता है इस्तेमाल
एक ओर विद्यालय बुनियादी सुविधाओं की मार झेल रहा है तो वहीं, विद्यालय प्रबंधन पर्यावरण को लेकर भी जागरुक नहीं है. क्योंकि यहां आज के दौर में भी विद्यालय के बच्चों के लिए बनाया जाने वाला मध्याह्न भोजन गैस की जगह जलावन के उपयोग से तैयार किया जाता है, जिससे रसोइया को भी मध्याह्न भोजन बनाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है और उससे निकलने वाले धुएं से बच्चों की सेहत पर असर पड़ रहा है.
महज 9 शिक्षकों के भरोसे चल रहा है स्कूल
इस विद्यालय में 16 शिक्षकों की जगह महज 9 शिक्षक के भरोसे ही पठन-पाठन का कार्य किया जा रहा है, जिसमें मुख्य विषय के एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. वहीं 8वीं और 9वीं के छात्र-छात्राओं को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती हैं.
अधिकारी नहीं देते ध्यान
विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका गीतांजलि कुमारी ने बताया कि इस विद्यालय की समस्याओं को लेकर कई बार जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष बात रखी गई है, लेकिन इसके बावजूद भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिसका परिणाम छात्र और छात्राएं सहित शिक्षकों को भी भुगतना पड़ रहा है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि इस विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं की कमी होने की वजह से इसका असर बच्चों के भविष्य पर भी पड़ रहा है. ऐसे में, बेगूसराय के संजात में 'सब पढ़ें सब बढ़ें' का नारा गलत साबित होता दिख रहा है.
(इनपुट-राजीव रंजन)