2014 में सुप्रीम के 214 कोयला ब्लॉक्स की नीलामी के बाद सरकार ने 29 कोयला खदानों की नीलामी की थी. लेकिन उसको लेकर भी बहुत सी कंपनियां कोर्ट में चली गई थी. इसी कारण से सरकार ने कोयला खदानों की नीलामी के लिए एक पारदर्शी पॉलिसी बनाने का फैसला लिया था.
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नई दिल्ली: आने वाले समय में केंद्र सरकार सभी तरह के कोयला खदान आवंटन को कमर्शियल माइंनिंग के जरिए से कर सकती है. यानि अभी जो खदानें एंड यूज के लिए दी जाती हैं, वो भी बोली के आधार पर ही आवंटित की जाएंगी. कोयला सचिव सुशील कुमार ने ज़ी मीडिया को बताया कि सरकार इसपर विचार कर रही है कि आने वाले समय में सभी तरह की माइनिंग कमिर्शियल आधार पर ही दी जाएं.
हाल ही में कैबिनेट ने कमिर्शियल माइनिंग के जरिए कोयला खदान आवंटन को मंजूरी ही है. इसके जरिए सरकार पहले चरण में कुछ खदानों को आवंटित करने की योजना पर काम कर रही है. कोयला सचिव के मुताबिक 2019 के अंत तक कुछ खदानों का आवंटन कमर्शियल माइनिंग के आधार पर कर दिया जाएगा. इसके लिए तैयारी की जा रही है. अभी तक सरकार पीएसयू और निजी दोनों तरह की कंपनियों को उनकी जरूरतों के हिसाब से कोयला खदानों का आवंटन करती थी. जोकि बाज़ार से कम रेटों पर होता था. जबकि स्टील, सीमेंट और बिजली कंपनियों अपने उत्पादों को मार्केट रेट पर बेचते थे. इस अप्रत्यक्ष सब्सिडी को लेकर पहले भी काफी सवाल खड़े होते रहे हैं. इससे बचने के लिए अब सरकार कमर्शियल माइनिंग को लेकर आई है.
2014 में सुप्रीम के 214 कोयला ब्लॉक्स की नीलामी के बाद सरकार ने 29 कोयला खदानों की नीलामी की थी. लेकिन उसको लेकर भी बहुत सी कंपनियां कोर्ट में चली गई थी. इसी कारण से सरकार ने कोयला खदानों की नीलामी के लिए एक पारदर्शी पॉलिसी बनाने का फैसला लिया था. अब इस नीलामी प्रक्रिया के बाद कोयला क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कोयला माइनिंग कंपनियां भी आ सकेंगी. कोयला सचिव के मुताबिक कुछ बड़ी अंतरराष्ट्रीय माइनिंग कंपनियों ने अपनी रूचि कोयला खदानों में दिखाया है. हालांकि इनका नाम अभी बताना उचित नहीं होगा.