बिहार के नन्हें लाल को बंधुआ मजदूरी से कराया गया मुक्त, पंजाब में हुई थी तस्करी
मुक्त होने के बाद बच्चे ने बताया कि उसे मिश्री राय और बिगन के द्वारा कपूरथला में आलू प्लांट में काम करवाया जाने लगा. जहां उससे 18 घंटे काम लिया जाता था साथ ही खाना भी सही समय पर नहीं दिया जाता था. इतना ही नहीं, उसे मजदूरी के बदले एक भी रुपया नहीं दी जाता था.
सीतामढ़ी : सीतामढ़ी के बेला थाना के बच्चे को बंधुआ मजदूर बनाकर उनका दूर व्यापार करने का घटना सामने आई है. नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित 'बचपन बचाओ आंदोलन' की पहल और सीतामढ़ी पुलिस के सहयोग से बेला थाना क्षेत्र के एक दस वर्ष के बच्चे को पंजाब के कपूरथला जिला के सदर थाना के सियाल गांव से सोमवार की रात बंधुआ मजदूरी से छुड़ाया गया.
जानकारी के अनुसार, एक साल पहले गांव से एक गरीब परिवारों के दस वर्ष के बच्चे को सोनबरसा प्रखंड के दो ठेकेदार पैसों का लालच देकर पंजाब में आलू के खेतों में काम करवाने के लिए ले गए. बच्चों को वहां ले जाने के बाद से परिवार के साथ संपर्क नहीं रखने दिया गया. बच्चे को वापस करने के लिए जब बच्चे की मां ठेकेदार बिगन राय और मिश्री राय के घर बच्चे को सीतामढ़ी वापस लाने के लिए कहती थी तो उनके साथ गाली गलौज करता था.
घर से टूट गया था बच्चे का संपर्क
वहीं, बचपन बचाओ आंदोलन के सहायक परियोजना अधिकारी मुकुंद कुमार चौधरी ने बच्चे की मां के साथ जाकर थाना अध्यक्ष को घटना की जानकारी दी. इसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज की गई.
पंजाब से रेस्क्यू किया गया बच्चा
बिहार पुलिस और बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने बच्चे को पंजाब से रेस्क्यू किया. 3 अक्टूबर को पंजाब के कपूरथला जिला के सियाल में बच्चे को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया गया.
बच्चे ने बयां किया अपना दर्द
मुक्त होने के बाद बच्चे ने बताया कि उसे मिश्री राय और बिगन के द्वारा कपूरथला में आलू प्लांट में काम करवाया जाने लगा. जहां उससे 18 घंटे काम लिया जाता था साथ ही खाना भी सही समय पर नहीं दिया जाता था. इतना ही नहीं, उसे मजदूरी के बदले एक भी रुपया नहीं दी जाता था. बच्चे ने मुक्त करवाने के लिए बचपन बचाओ आंदोलन और सीतामढ़ी पुलिस को धन्यवाद दिया है. उसकी इच्छा शिक्षक बनने की है.
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