Hazaribagh News: झारखंड में भी किसानों की हालत कुछ ज्यादा ठीक नहीं है.
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Hazaribagh: कोरोना का कहर पिछले एक साल से कहर बनकर टूट रहा है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव को बर्बाद कर दिया है. अन्नदाता इतने बेहाल हो गए हैं कि दो जून की रोटी जुटाना भी भारी पड़ने लगा है. झारखंड में भी किसानों की हालत कुछ ज्यादा ठीक नहीं है. किसान दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं, सरकार से गुहार लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
हजारीबाग के किसान पूरी तरह बदहाल हो चुके हैं. इनकी व्यथा अगर आप सुनेंगे तो आपके आंखों में भी आंसू आ जाएंगे, यहां पर स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की वजह से फसल बाहर के बाजारों तक नहीं पहुंच पा रही है, जिसकी वजह से कौड़ी के भाव में किसान अपनी मेहनत की फसल को बेचने के लिए मजबूर हैं.
झारखंड के किसानों की समस्या का सबसे बड़ा कारण लॉकडाउन है. पाबंदियों की वजह से आवागन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, ऐसे में कई किसानों की फसल तो अभी तक खेत में ही है. हजारीबाग में मुख्य रुप से इचाक, बड़कागांव, कटकमसांडी, कटकमदाग, चुरचू, दारू प्रखंड में सब्जी की सबसे ज्यादा खेती होती है.
यहां के किसानों के जीवन यापन का यहीं मुख्य जरिया है लेकिन हालत ऐसी हो गई है कि हजारों खर्च कर टमाटर की खेती करने वाले किसानों को 5 रुपये किलो टमाटर बेचना पड़ रहा है. यहां के किसान सिर्फ झारखंड हीं नहीं बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार तक अपनी सब्जी को थोक व्यापारी के जरिए बेचते थे.
हजारीबाग का हाल आपने देख लिया अब आपको गुमला के किसानों का दर्द बताते हैं. यहां पर पहले कोरोना का कहर और अब यास तूफान की मार ने किसानों के जख्म को और कुरेद दिया है. बेमौसम बारिश और आंधी के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. लॉकडाउन के कारण जो फसल बाहर बिकने के लिए नहीं जा पाई थी, अब वो मौसम की मार से सड़ने के कगार पर पहुंच गई है.
लोहरदगा में भी मौसम की मार ने मेहनतकशों को रुला दिया है यास तूफान की वजह से बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. खेत मे खड़ी सब्जी की फसल को काफी नुकसान हुआ है, यहां खेत मे लगी पत्ता गोभी की फसल बर्बाद होती दिख रही है. अपने खेत की तबाही देख किसान परेशान हैं... हालांकि डीसी ने यास तूफान की वजह से हुए नुकसान के मुआवजे के लिए लोगों को अंचल कार्यालय में आवेदन देने की अपील की है.
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कोरोना से बचने के लिए राज्यभर में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू किया गया ताकी बीमारी से बचा जा सके लेकिन बीमारी से बचने के चक्कर में किसानों की माली हालत खराब हो गई. हालांकि राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि किसानों के लिए बाजार उपलब्ध करवाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, किसानों को भी सरकार से काफी उम्मीदें है बाजार मिलने, फसलों को बाहर बेचने के लिए भेजने और सरकारी सहायता की किसानों को जरुरत है, अन्नदाता की हिम्मत को बचाने के लिए रखने के लिए सरकार को भी इस तरफ ध्यान देना होगा.