गढ़वा में माही से प्रेरित होकर पशु किसानों ने कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग की शुरुआत की है. किसानों ने गढ़वा कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग की शुरुआत की है.
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चंदन कश्यप/गढ़वा: कहते है न कि ब्रांड बिकता है और तब जब महेंद्र सिंह धोनी जैसा ब्रांड मिल जाए तो क्या कहने. जी हां, कल तक झारखंड में कड़कनाथ मुर्गे के बारे में कोई नहीं जानने वाले आज झारखंड के लाल महेंद्र सिंह धोनी ने कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग स्टार्ट करते ही झारखंड ही नहीं, पूरे देश मे इस मुर्गे की मांग बढ़ गई है. गढ़वा में भी 'माही' से प्रेरित होकर किसान अब कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग स्टार्ट कर दिए हैं.
गढ़वा में माही से प्रेरित होकर पशु किसानों ने कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग की शुरुआत की है. किसानों ने गढ़वा कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग की शुरुआत की है. दरअसल, गढ़वा में भी लोग पौष्टिक, प्रोटीन और कम केलोस्ट्रोल देशी मुर्गे और कड़कनाथ मुर्गे की सेवन कर सके इसके लिए वैज्ञानिकों ने जिले में तीन जगहों से इसकी शुरुआत की है, जिसमे मेराल के संगबारिया का पोलिट्री फॉर्म इन दिनों चर्चा में है. वजह है यंहा कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग की जा रही है. लोग विशेष रूप से इसे देखने भी आ रहे हैं.
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— Zee Bihar Jharkhand (@ZeeBiharNews) December 2, 2020
किसान कहते है कि माही से प्रेरित होकर हम यंहा कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग कर रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक इसमें हमें मदद कर रहे है. अभी एक सौ बिड मिला है. वहीं, दूसरे किसान का मानना है कि इस मुर्गे का सेवन मनुष्य के अंदर कई तरह की बीमारियों को भी ठीक करता है.
गढ़वा जिले के विज्ञानिको ने शहर वासियों को एक खुशी दी है, जिसमें अब शहरवासी प्रोटीनयुक्त और कम क्लोस्ट्राल वाले देशी मुर्गे एवं कड़कनाथ मुर्गे की सेवन कर सकेंगे. वैज्ञानिक सुषमा बाखला ने बताया कि जिले के मेराल प्रखंड के संगबारिया में पशु कृषकों को यह उन्नत किस्म वाली मुर्गे-मुर्गी की बिड दी गई है. बहुत जल्द जब ये बड़ा हो जाएगा तो इसे अन्य किसानों के बीच बाटा जाएगा ताकि इसका प्रोडक्शन ज्यादा से ज्यादा हो.
उनका मानना है कि यह मनुष्य के शरीर में कई तरह के बीमारियों में लाभदायक होगा और बहुत जल्द गढ़वा के बाजार में उपलब्ध होगा. कड़कनाथ मुर्गे का फार्मिंग गढ़वा में स्टार्ट हो गया है जो बहुत जल्द गढ़वा के बाजारों में उतरेगा. अब देखना होगा कि प्रतिमाह डेढ़ से दो करोड़ की खपत होने वाले मुर्गे के बाजार में कड़कनाथ कितना अपना बाजार बना पाता है.