सासाराम: पुरातत्व विभाग को खुदाई में मिले 5000 साल पुराने अवशेष, निकले नरकंकाल-चुल्हे और हथियार
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सासाराम: पुरातत्व विभाग को खुदाई में मिले 5000 साल पुराने अवशेष, निकले नरकंकाल-चुल्हे और हथियार

 गंगा के घाटी में मिलने वाले सभ्यता के सबसे प्राचीन प्रमाण के रूप में इसे देखा जा रहा है.

बीएचयू के अर्कीलॉजिकल एंड इंसिएंट हिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर के नेतृत्व में यह खुदाई कार्य चल रहा है.

सासाराम: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निर्देश पर बिहार के रोहतास के सकास गांव में की जा रही खुदाई के बाद नवपाषाण काल के अवशेष मिले हैं. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रिसर्चर की टीम यह खुदाई कर रही है. इस खुदाई में फिलहाल नवपाषाण काल के छह नर-कंकाल के अलावे मृदभांड और पत्थर के हथियार मिले हैं. यह लगभग 5000 साल पुराने बताए जा रहे हैं. गंगा के घाटी में मिलने वाले सभ्यता के सबसे प्राचीन प्रमाण के रूप में इसे देखा जा रहा है.

इस इलाके में आज से 30 साल पूर्व 1989 में आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खुदाई की थी तो कई नवपाषाणक अवशेष मिले थे. लेकिन इस बार फिर जब खुदाई की प्रक्रिया शुरू हुई तो सकाश गांव के एक ऊंचे टीले से सभ्यता के अवशेष निकलने लगे. बीएचयू के अर्कीलॉजिकल एंड इंसिएंट हिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. विकास कुमार सिंह के नेतृत्व में यह खुदाई कार्य चल रहा है. 

इसमें अब तक छह नरकंकाल बरामद हुए हैं जो कितने पुराने हैं इसके लिए बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पालीओ साइंस, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.नीरज राय भी टीम में शामिल है. यह खुदाई पिछले 1 माह से चल रही है.

वैज्ञानिकों द्वारा नरकंकाल तथा अस्थिपंजरो के सिंपल इकट्ठे किए गए हैं. जिसके डीएनए जांच करने के लिए वैज्ञानिक भी लगे हैं. कैमूर पहाड़ी के निचले हिस्से में स्थित सकाश गांव में इस तरह के प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिलने से स्थानीय लोगों में भी कौतूहल है. इतना ही नहीं इस खुदाई में कई मिट्टी के चूल्हे, पत्थर के औजार के अलावे मृदुभांड मिल रहे हैं. 

खुदाई में मिले इन अवशेषों के सैंपल को काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी तथा बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पालियो साइंस, लखनऊ भेजा जा रहा है. सिंधु घाटी सभ्यता में हरप्पा की तरह गंगा घाटी में पहली बार शवों के अवशेष मिले हैं जो आने वाले समय में प्राचीन इतिहास की जानकारी के कई स्रोत उपलब्ध कराएंगे.

वैसे तो सासाराम का इलाका मध्यकाल में काफी महत्वपूर्ण आ रहा है लेकिन जिस तरह से नवपाषाण के विशेष मिल रहे हैं उससे स्पष्ट होता है कि प्राचीन इतिहास में यह इलाका काफी समृद्ध रहा है. (रिपोर्ट: अमरजीत कुमार)