Bihar News: बोधगया स्थित प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर जिसे 27 जून 2002 को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया था, अब गंभीर खतरे में दिख रहा है. भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति की यह ऐतिहासिक जगह आज दरारों से जूझ रही है. मंदिर के कई हिस्सों में छोटी-छोटी दरारें पड़ गई हैं और लोहे की छड़ें भी दिखाई देने लगी हैं. इन समस्याओं के बावजूद, बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी (बीटीएमसी) जो इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी संभालती है, इससे अनजान दिख रही है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर में भगवान बुद्ध की कई छोटी-छोटी प्रतिमाओं के पास भी दरारें पाई गई हैं. मंदिर के ऊपर लगे 290 किलोग्राम सोने का गुंबद, जो थाईलैंड के श्रद्धालुओं द्वारा दान किया गया था, चमकदार और आकर्षक दिखता है, लेकिन मंदिर की मौजूदा स्थिति पर किसी की नजर नहीं गई है. महाबोधि वृक्ष, जिसे विशेष देखभाल की जरूरत है कि देखभाल देहरादून के एफआरआई के कृषि वैज्ञानिकों की निगरानी में की जा रही है. लेकिन मंदिर और पूरे परिसर की देखरेख मरम्मत जैसे कार्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार ही की जानी चाहिए.


मंदिर की बिगड़ती हालत ने श्रद्धालुओं और बौद्ध भिक्षुओं को चिंतित कर दिया है. बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और तुरंत मरम्मत कार्य शुरू करना चाहिए, ताकि इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल को सुरक्षित रखा जा सके. महाबोधि मंदिर न केवल बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी है. ऐसे में मंदिर की अनदेखी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए भी बड़ा नुकसान हो सकती है.


ये भी पढ़िए-  पहले तलवार से काटा फिर मारी गोली, अय्याश बहू ने सास की कराई दुर्दांत हत्या!