बिहार के गर्ल्स कॉलेजों में व्यवस्था चरमराई, मांझी की 'फ्री स्कीम' की भरपाई नहीं कर रही सरकार
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बिहार के गर्ल्स कॉलेजों में व्यवस्था चरमराई, मांझी की 'फ्री स्कीम' की भरपाई नहीं कर रही सरकार

साल 2015 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कॉलेजों को निर्देश दिया था कि पोस्ट ग्रेजुएट तक एडमिशन के वक्त छात्राओं से पैसे नहीं ले. इसके एवज में जो नुकसान होगा उसकी भरपाई बिहार सरकार करेगी. 

शिक्षा विभाग की इस लापरवाही का सीधा असर कॉलेजों की आर्थिक सेहत पर पड़ा.

पटना: बिहार के सरकारी और खासकर गर्ल्स कॉलेजों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई है. साल 2015 में तत्तकालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने कॉलेजों को पोस्ट ग्रेजुएट तक छात्राओं से एडमिशन फीस नहीं लेने के निर्देश दिया था. हालांकि सरकार ने तब कहा था कि छात्राओं को मुफ्त पढ़ाने की योजना से जो नुकसान होगा उसकी भरपाई की जाएगी. लेकिन पिछले तीन सत्रों से बिहार सरकार ने कॉलेजों को एक नया पैसा नहीं दिया है.

पिछले तीन सत्रों से जेडी विमेंस कॉलेज को बिहार सरकार ने एक पैसा नहीं दिया है. नैक (NAAC) की टीम आने वाली है. कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ दूसरे भी काम के लिए पैसे चाहिए.सिर्फ वेतन और पेंशन से कॉलेज नहीं चलता है ये चीज बिहार सरकार को कौन समझाए. ये शब्द जेडी विमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर श्यामा राय के थे. 

ये शिकायत सिर्फ जेडी विमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल की नहीं बल्कि राज्य के करीब हर महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की है. दरअसल साल 2015 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कॉलेजों को निर्देश दिया था कि पोस्ट ग्रेजुएट तक एडमिशन के वक्त छात्राओं से पैसे नहीं ले. इसके एवज में जो नुकसान होगा उसकी भरपाई बिहार सरकार करेगी. लेकिन तीन सत्र यानी 2015-16, 2016-17, 2017-18 के दौरान जिन लाखों छात्राओं का दाखिला हुआ उसके पैसे अब तक बिहार सरकार ने कॉलेजों को नहीं दिए.

शिक्षा विभाग की इस लापरवाही का सीधा असर कॉलेजों की आर्थिक सेहत पर पड़ा. आज बिहार के कॉलेजों खासकर गर्ल्स कॉलेज में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव हो गया है. पंखे हैं तो चलते नहीं है, बिल्डिंग है तो उसकी पुताई नहीं हुई. सुरक्षा गार्ड हैं तो उसके लिए पैसे नहीं हैं. कई महिला कॉलेजों ने एक तरह से हाथ खड़े कर दिए हैं. खुद विश्वविद्यालय प्रशासन ये स्वीकार करता है कि पिछले तीन सत्रों से बिहार सरकार ने फ्री एडमिशन के नाम पर एक पैसे नहीं दिए हैं.

उच्च शिक्षा विभाग भी मानता है कि अब तक एडमिशन के एवज में कॉलेजों को बकाया राशि मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली है. हालांकि उच्च शिक्षा विभाग का अपना तर्क है. उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी के मुताबिक, कॉलेजों में एडमिशन फीस को लेकर समन्वय नहीं है. कॉलेज और यूनिवर्सिटी की तरफ से कई बार छात्राओं की लिस्ट भेजी गई लेकिन वो लिस्ट आधी अधूरी है. रेखा कुमारी के मुताबिक, जल्द ही पाटलिपुत्र और पटना विश्वविद्यालयों को राशि जारी कर दी जाएगी. इन राशि से उन्हें छात्राओं के दाखिला में जो नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति हो जाएगी. उच्च शिक्षा निदेशक ने दो हफ्ते में रकम भुगतान करने का दावा किया है.

अगर कॉलेजों को बेहतर दिखाना है तो इसके लिए पैसे भी चाहिए. लेकिन सच्चाई ये है कि सरकार क़ॉलेजों को वादा कर भूल चुकी है.दू सरी तरफ अगर यूनिवर्सिटी या कॉलेज को भी चाहिए कि वो पिछले तीन सत्रों में एडमिशन ली गई छात्राओं की सही सूचि शिक्षा विभाग को भेजे ताकि उन्हें क्षतिपूर्ति मिल सके. कॉलेज या यूनिवर्सिटी देश के तकदीरों का निर्माण करते हैं लिहाजा इसे हर तरह से सशक्त बनाया जाना चाहिए.