झारखंडः आचार संहिता उल्लंघन मामले में हेमंत सोरेन को राहत, दो मामले थे दर्ज
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झारखंडः आचार संहिता उल्लंघन मामले में हेमंत सोरेन को राहत, दो मामले थे दर्ज

आदर्श आचार संहिता उल्लंघन को दो मामले में साक्ष्य के अभाव में हेमंत सोरेन को सीजीएम की कोर्ट ने राहत दी है. 

अचार संहिता उल्लंघन के मामले में हेमंत सोरेन बरी. (फाइल फोटो)

सुबीर/दुमकाः जेएमएम कार्यवाहक अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दुमका के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में पेश हुए. आदर्श आचार संहिता उल्लंघन को दो मामले में साक्ष्य के अभाव में हेमंत सोरेन को सीजीएम की कोर्ट ने राहत दी है. उन्हें इस मामले से बरी कर दिया गया है. 

बता दें कि विधानसभा चुनाव में पहला मामला नामांकन के दौरान अधिक लोगों को लेकर नामांकन करने पहुंच गए थे. वहीं दूसरा मामला शिबू सोरेन संसदीय आवास खिजुरिया में बिना अनुमति के सभा का आयोजन जेएमएम के द्वारा किया गया था.

विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के दो अलग-अलग मामले में फंसे जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कोर्ट ने राहत देते हुए शुक्रवार को बरी कर दिया. मामले में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन आज अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी देवाशीष महापात्रा की कोर्ट में पेश हुए.

अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए हेमंत सोरेन को बरी कर दिया. हेमंत सोरेन ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था. बचाव पक्ष के वकील विजय कुमार सिंह और धर्मेंद्र प्रसाद ने बताया कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट में पेश होने के बाद हेमंत सोरेन को कोर्ट ने बरी करने का फैसला सुनाया.

गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन पर एक ही दिन आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे. विगत 28 नवम्बर 2014 को कांड संख्या 294/14 के अंतर्गत भादवि की धारा 143 एवं 188 और आरपी एक्ट 126 के तहत हेमंत सोरेन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. जिसमें तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी सह वरीय पदाधिकारी सुधीर कुमार ने हेमंत सोरेन पर बिना अनुमति के सभा करने का आरोप लगाया था.

वहीं, कांड संख्या 295/14 के अंतर्गत भादवि की धारा 143 एवं 188 और आरपी एक्ट 126 के तहत हेमंत सोरेन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, जिसमें हेमंत पर नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान निर्वाची पदाधिकारी के कक्ष में पांच से अधिक व्यक्तियों के प्रवेश करने का आरोप था.