पटना: बदबू से परेशान हुए 'माननीय', सरकारी सिस्टम के खिलाफ बोलने को हुए मजबूर
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पटना: बदबू से परेशान हुए 'माननीय', सरकारी सिस्टम के खिलाफ बोलने को हुए मजबूर

परेशानी की वजह बीते कई दिनों से फटा इलाके के सिवरेज का पाईप है. जल जमाव और बदबू ने यहां के लोगों का रहना मुहाल कर दिया है. 

जेडीयू के एक एमएलसी सरकारी सिस्टम से इतने दुखी हुए कि सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने को मजबूर हो गए.

पटना: आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी के नेता अपनी सरकार के खिलाफ न तो कुछ बोलते हैं और न ही कुछ सुनना पसंद करते हैं. लेकिन जेडीयू के एक एमएलसी सरकारी सिस्टम से इतने दुखी हुए कि सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने को मजबूर हो गए. इतना ही नहीं समस्या का समाधान न होता देख माननीय विधान पार्षद को अब मीडिया ही एकमात्र विकल्प नजर आ रहा है.

बिहार के पटना के वीआईपी इलाके ऑफिसर्स फ्लैट में रहने वाले वीआईपी इनदिनों बेहद परेशान हैं. परेशानी की वजह बीते कई दिनों से फटा इलाके के सिवरेज का पाईप है. जल जमाव और बदबू ने यहां के लोगों का रहना मुहाल कर दिया है. चूंकि ज्यादातर लोग सिस्टम से जुडे वीआईपी हैं इसलिए कोई भी सिस्टम के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहा. लगभग 200 वीआईपी लोगों से भरा ये ईलाका बेहद खास इसलिए भी है क्योंकि ये पटना म्यूजियम के ठीक सामने बना है. लेकिन यहां के वीआईपी, वीआईपी सुविधाओं से महरुम नजर आ रहे हैं.

 

वीआईपी लोगों की चुप्पी के बीच जेडीयू एमएलसी शिवप्रसन्न यादव ने सरकारी सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाए हैं. शिवप्रसन्न यादव ने कहा कि बीते 15 दिनों से वो अधिकारियों गुहार लगाकार थक चुके हैं. नगर विकास विभाग के बुडको के इंजीनयर से मैंने कई दफा अपील की. लेकिन अधिकारी सिर्फ सुनते हैं. काम नहीं करते .

ऑफिसर्स फ्लैट में केवल एमएलसी ही नहीं रहते बल्कि बिहार सरकार के कई पदाधिकारी भी रहते हैं. सरकारी विभाग का यहां दफ्तर भी है. उसके बावजूद कोई यहां देखनेवाला नहीं. भवन निर्माण विभाग के अंतर्गत इसकी देखरेख का जिम्मा है लेकिन भवन निर्माण विभाग भी सोया हुआ है. यहां के नाले पूरी तरह से जाम हो चुके हैं. सडे हुए नाले के पानी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.

एमएलसी ने कहा कि अधिकारियों को समझना चाहिए कि सीएम नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट बिहार म्यूजियम है और उसके ठीक समाने ये ऑफिसर्स फ्लैट है. जेडीयू एमएलसी ने कहा कि उन्होंने नगर विकास विभाग के मंत्री सुरेश शर्मा से भी बात की है. लेकिन उनसे भी बात करने का कोई नतीजा सामने नहीं आया आश्वासन जरुर मिला है. ऐसे में अब मीडिया ही एकमात्र सहारा बचा है सच्चाई दिखाने के लिए.