कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का उत्पादन जीविका समूह की महिलाओं ने लॉकडाउन में भारी किल्लत शुरू होने पर किया और आखिरकार जीविका दीदियों की मेहनत रंग लाने लगी है.
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पश्चिम चंपारण: बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में दर्जनों जीविका समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर मास्क बनाया जा रहा है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का उत्पादन जीविका समूह की महिलाओं ने लॉकडाउन में भारी किल्लत शुरू होने पर किया और आखिरकार जीविका दीदियों की मेहनत रंग लाने लगी है .
मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी के आत्मनिर्भरता वाले संदेश और मूल मंत्र को सही साबित करने में जुटी जीविका समूह के सदस्यों ने मास्क उत्पादन में पश्चिम चंपारण जिले का नाम रोशन किया है . महिलाओं की मेहनत का ही परिणाम है कि पिछले दो महीने में इन्होंने मास्क उत्पादन के क्षेत्र में पूरे सूबे में जिले को पहले पायदान पर लाकर खड़ा किया है.
बगहा के जीविका परियोजना पदाधिकारी के मुताबिक जिले के जीविका समूहों द्वारा अबतक 2 लाख से ज्यादा मास्क का उत्पादन किया गया है. जो कि प्रदेश के किसी भी जिले के लिए रिकॉर्ड है. पश्चिम चम्पारण में दर्जनों जीविका समूह द्वारा मास्क उत्पादन किया जा रहा है.
जीविका के बीपीओ वासिफ अली ने बताया कि मास्क की किल्लत को दूर करने के लिहाज से जीविका समूहों द्वारा मास्क उत्पादन के काम पर जोर दिया गया. जिसके परिणाम स्वरूप आज पूरे बिहार में पश्चिम चम्पारण जिला मास्क उत्पादन के क्षेत्र में पहले पायदान पर पहुंच गया है . इस उपलब्धी से जिला प्रशासन में काफी खुशी है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि बगहा दो प्रखंड के अंतर्गत थरुहट इलाके में तीन जीविका सेंटरों का संचालन किया जा रहा है. सभी जीविका सेंटरों पर इस समय मुख्यत: मास्क का उत्पादन दर्जनों जीविका सदस्य कर रही हैं . इनमें दुधौरा, सेमरा और हरनाटांड़ में सत्याग्रह, कर्मभूमि और हिमालय नाम से जीविका समूह चलाये जा रहे हैं जहां जीविका दीदियों ने अब तक 20 हजार से ज्यादा मास्क उत्पादन किया है.
आपको बताएं की पीएम मोदी के आत्मनिर्भरता संदेश को सच कर रही चंपारण की जीविका सदस्यों का कहना है कि वे मास्क बनाने से पहले कपड़े को नीम वाले गर्म पानी में धुलकर डिटॉल और रिवेंज से सेनेटाइज करती हैं. फिर मास्क की सिलाई की जाती है.