Bihar Lok Sabha Election 2024: इस चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव का राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा. हालांकि, जबतक नतीजे नहीं आते तब तक इसका फैसला करना भी बेइमानी होगी.
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Bihar Lok Sabha Election 2024: इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ कई अन्य नेताओं का भी लिटमस टेस्ट होने वाला है. पीएम मोदी ने तो 'अबकी बार, 400 पार' का टारगेट सेट करके अपने लक्ष्य को और चुनौतीपूर्ण बनाकर एक परिपक्व राजनेता का संकेत दे दिया है. वहीं विपक्ष अगर इस बार भी बीजेपी को नहीं रोक पाया तो कई दलों के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग जाएगा. बिहार के लिए यह काफी अहम होने वाला है. इस चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव का राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा. सियासी पंडितों के मुताबिक, नीतीश कुमार का सियासी करियर अब ढ़लान पर है और तेजस्वी का भविष्य उज्जवल नजर आ रहा है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि बेशक तेजस्वी युवा हैं लेकिन नीतीश कुमार के पास अनुभव की कोई कमी नहीं है. लिहाजा, जबतक नतीजे नहीं आते तब तक इसका फैसला करना भी बेइमानी होगी.
सियासी जानकारों के मुताबिक, नीतीश कुमार के पास आज भी अपनी जाति के 5 प्रतिशत वोट और महिलाओं के 50 प्रतिशत से अधिक वोट हैं, जो किसी भी चुनाव के परिणाम में काफी असर डाल सकते हैं. यही कारण है कि सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार की घटती साख के तमाम दावों के बावजूद बीजेपी ने उनकी एनडीए में ससम्मान वापसी कराई है. पीएम मोदी के अलावा बीजेपी का हर एक बड़ा नेता अपनी हर जनसभा में मुख्यमंत्री की तारीफ कर रहा है. नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर को देखें तो उन्होंने पिछले दो दशकों में बिहार में अपने लिए एक नया कोर वोट बैंक बनाया है. 2005 से अब तक महिलाएं और महादलित नीतीश के साइलेट कोर सपोर्टर रहे हैं. 2019 तक यह वोटबैंक पूरी तरह से उनके साथ था.
इसी का नतीजा था कि एनडीए को 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. मोदी मैजिक ने जीत के मार्जिन को बढ़ाने का काम किया था. और इसी कारण से 30 में से 34 सांसद एक लाख वोटों के अंतर से जीते थे. हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में कोर वोट बैंक में एक गिरावट देखी, लेकिन यह इतनी भी नहीं थी कि नीतीश बाबू गेम से ही बाहर हो जाएं. 2020 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को भी देखें तो 59.7 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, यानि महिलाओं में चुनाव को लेकर उत्साह ज्यादा था. मतलब साफ है कि इस चुनाव में भी महिला वोटर ने ही नीतीश कुमार की कुर्सी बचा ली थी. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की भागीदारी का उल्लेख किया था और कहा था कि उन्होंने इस चुनाव में शांत मतदाता की भूमिका निभाई है.
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सियासी जानकारों का कहना है कि यह सच है कि शराबबंदी कानून से महिलाओं काफी खुश हैं और आज भी इस कानून का समर्थन करती हैं. इसकी एक झलक रविवार (21 अप्रैल) को जहानाबाद में भी देखने को मिली. यहां एक गांव में ग्रामीणों ने जब जेडीयू सांसद चंदेश्वर प्रसाद को घेरकर उनसे सवाल-जवाब करने शुरू कर दिए तो एक महिला ही आगे आई और उसने जेडीयू सांसद का समर्थन किया. महिला ने सासंद चन्देश्वर प्रसाद चंद्रवंशी का बचाव करने की पूरी कोशिश की. यह घटना साबित कर रही है कि महिलाएं इस बार भी जेडीयू का सुरक्षा कवच बन सकती हैं.