खनिज संपदा से भरपूर है झारखंड, बस हमें हमारे मजदूर वापस करें: हेमंत सोरेन
Advertisement

खनिज संपदा से भरपूर है झारखंड, बस हमें हमारे मजदूर वापस करें: हेमंत सोरेन

लॉकडाउन होने के बाद चाहे ग्रीन जोन हो, ऑरेंज जोन हो, रेड ज़ोन हो, उसमें भारत सरकार के गृह मंत्रालय की जो गाइडलाइन समय-समय पर आती रहती है, उसको भी ध्यान में रखते हुए हम आगे डिसाइड करते हैं. 

खनिज संपदा से भरपूर है झारखंड, बस हमें हमारे मजदूर वापस करें- हेमंत सोरेन. (फाइल फोटो)

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से साक्षात्कार में कहा कि हमारी सरकार राज्य में गरीब, मजदूर और किसानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दे रही है. आज हम लोगों ने सामाजिक सुरक्षा की पुख्ता तैयारी की है. आज गांव में कोई भी भूखा नहीं है. सभी लोगों को हम भरपेट अनाज दे रहे हैं. भरपेट खाना खिला रहे हैं. झारखंड में कहीं किसी को कोई शिकायत नहीं है.

हेमंत सोरेन ने कहा कि खुशी वाली बात यह है कि झारखंड में मरीजों के ठीक होने की दर 50 प्रतिशत है और देश में 30 प्रतिशत. लॉकडाउन होने के बाद चाहे ग्रीन जोन हो, ऑरेंज जोन हो, रेड ज़ोन हो, उसमें भारत सरकार के गृह मंत्रालय की जो गाइडलाइन समय-समय पर आती रहती है, उसको भी ध्यान में रखते हुए हम आगे डिसाइड करते हैं. 

हालांकि अभी तक लॉकडाउन पूरे तरीके से लागू है. किसानों को अपने काम करने के लिए कुछ ढील देनी चाहिए.

संसाधन जुटाने की कोई व्यवस्था नहीं हमारे पास

उन्होंने आगे कहा कि आज के दिन एक रुपए की भी अगर हमें जरूरत पड़ती है तो केंद्र की ओर हमें नजरें करनी पड़ती है क्योंकि हमारे पास संसाधन जुटाने की कोई भी व्यवस्था नहीं है. 

सारी चीजें केंद्र पर ही निर्भर हैं और आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक बहुल इलाके यहां पर ज्यादा हैं. इन वर्गों की आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है. केंद्र सरकार को इनके उत्थान के लिये विशेष मदद देनी चाहिए.

खनिज संपदा से भरपूर है झारखंड- हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड खनिज संपदा से भरपूर राज्य है. कोयला-लोहा-यूरेनियम के अलावा हमारे पास और भी ऐसे संसाधन हैं. अगर उन संसाधनों पर सरकारों की नजर होती तो मुझे नहीं लगता कि आज यह राज्य मजदूरों का प्रदेश होता. 

आज संयोग से मुझे संक्रमण के दौर में यह राज्य मिला है और मुझे बहुत सारे ऐसे क्षेत्रों को समझने का, उनकी स्टडी करने का मौका मिल रहा है. कुकून का उत्पादन झारखंड में सबसे अधिक होता है. 50 फीसदी बुनकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं. 

साठ हजार मीट्रिक टन लाह पैदा करने वाला यह प्रदेश आज 10 हजार मैट्रिक टन लाह उत्पादन कर रहा है. जो आज मालिक होने चाहिए थे, वह मजदूर बने हुए पड़े हैं, जो मजदूर थे वह मालिक बने हुए पड़े हैं. हमें ये स्थिति बदलनी पड़ेगी.

हमारे मजदूर हमें वापस करें- सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम तो मजदूर प्रधान मेरा राज्य हैं. हम सबसे पहले डिमांड करने वाले लोगों में से हैं कि हमारे मजदूर हमें वापस करें. 

भारत सरकार की अनुमति के कभी कोटा से छात्रों को कभी मजदूरों को अपने-अपने बसों से ला रहे हैं. यह असंवैधानिक तरीके से लोगों को लोगों को लाना शुरू किया हमने बहुत एक काफी गंभीर पत्र गृह मंत्री जी को लिखा कि अगर हमें मजदूर नहीं मिलेंगे तो हम निश्चित रूप से दूसरे रास्ते अख्तियार करने पर मजबूर हैं. 

अलग-अलग राज्यों से पूरे मजदूरों की आज हमारे पास लगभग कंट्रोल रूम में है. वहां पर 6 से 7 लाख मजदूरों का पूरा डिटेल हमारे पास है. कौन कहां फंसा है किस तरीके से किस हालात में है. इस पर हमारी नजर है.

यदा-कदा बारिश से बर्बाद हो रही है फसलें

आज इसको लेकर किसानों को राहत देने की भी बात हमने सोच रखी है और बेमौसम बारिश भी हो रही है. बर्फ गिर रही है सबके तरबूज फल और सब्जियां बर्बाद हो रही है. 

बारिश यदा-कदा हो जा रही है मौसम भी बहुत तेजी से करवट ले रहा है और मुझे लगता है संक्रमण तो अपनी जगह है और दूसरा संक्रमण गरीबों और किसानों के ऊपर जो मौसम की मार है. 

हम उनको उबारने की कार्य योजना बना चुके थे और जो फसलें बर्बाद हुई है उन फसलों का हम क्षतिपूर्ति भी देंगे और आने वाले समय में खेती के लिए जो तैयारी होगी उसके लिए भी हमारा प्रयास है कि समय से पहले बीज खाद उपलब्ध करवा दिया जाए ताकि अगली खेती के लिए किसान तैयारी कर सकें और इसको लेकर डिपेंड करता है कि केंद्र सरकार कितना सहयोग कर दी है, घूम फिर के हम वहीं आ जाते हैं.