झारखंड के लोहरदगा को यूं तो बॉक्साइट की नगरी कहा जाता है लेकिन यहां के कुछ किसान अपने नए प्रयोगों के जरिए इसे तिलहन उत्पादन में भी अव्वल बनाने में लगे हुए हैं. कृषि के क्षेत्र में नए प्रयोगों को लेकर ग्रामीण काफी उत्साहित हैं.
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रांची: झारखंड के लोहरदगा को यूं तो बॉक्साइट की नगरी कहा जाता है लेकिन यहां के कुछ किसान अपने नए प्रयोगों के जरिए इसे तिलहन उत्पादन में भी अव्वल बनाने में लगे हुए हैं. कृषि के क्षेत्र में नए प्रयोगों को लेकर ग्रामीण काफी उत्साहित हैं और राज्य सरकार की तिलहन उत्पादन योजना के तहत लाभ कमा रहे हैं.
जिले में तिलहन उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए जिला कृषि विभाग और आत्मा परियोजना द्वारा सरसों के उत्पादन के लिये सेन्हा प्रखंड के अरु गांव के ग्रामीणों को प्रेरित किया गया है.
आत्मा परियोजना के तहत किसानों को दिया गया प्रशिक्षण
लोहरदगा जिले में आत्मा परियोजना के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है. वहीं किसानों लिए कृषक पाठशाला, मंच गोष्ठी जैसे कार्यक्रमों में सरसों की खेती की उपयोगिता और आय वृद्धि को लेकर जागरूक किया जा रहा है. किसानों को इस पहल का लाभ भी मिल रहा है और कृषि विभाग के सहयोग से ग्रामीण सरसों की अच्छी पैदावार कर रहे हैं.
नई योजना बनाएगी किसानों को आत्मनिर्भर
वित्तीय वर्ष 2020-21 में ग्रामीणों के बीच सरसों के बीज का वितरण किया गया था जिसके कारण सरकार के तिलहन विकास योजना के तहत शुरू की गई 'सरसो वही क्रांति नई' योजना के सार्थक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक और आत्मा परियोजना के पदाधिकारी इसकी देख रेख भी कर रहे हैं. वहीं सरसों की खेती से किसानों को तिलहन के साथ सरसों के अपशिष्ट से बेहतर खाद भी मिल जाता है. यानि सरसों की खेती हर मामले में किसानों के लिए बेहतर मुनाफा दे रही है.
लोहरदगा जिले के आदिवासी बहुल इलाकों के किसान जो धान और गेंहू की खेती तक ही सीमित थे. अब राज्य सरकार के उठाए गए सार्थक पहल और कृषि विभाग के सहयोग से तिलहन की खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा हो रहा है. आने वाले समय मे बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा तेलहन उत्पादन के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाएगी.
(इनपुट- पारस)
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