परीक्षा की जिम्मेदारी नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी को दी गई है. हालांकि पिछली बार कुछ कारणों से परीक्षा पास करने के बावजूद छात्रों का दाखिला नहीं हो पाया था.
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पटना: बिहार में एक बार फिर से बीएड के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा होने जा रही है. परीक्षा की जिम्मेदारी नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी को दी गई है. हालांकि पिछली बार कुछ कारणों से परीक्षा पास करने के बावजूद छात्रों का दाखिला नहीं हो पाया था.
इस बार यूनिवर्सिटी का दावा है कि जो छात्र परीक्षा पास करेंगे उनका दाखिला भी होगा. साल 2018 से बिहार के सभी सरकारी, अंगीभूत, अल्पसंख्यक और निजी संस्थानों के लिए एक साथ संयुक्त प्रवेश परीक्षा ली जा रही है. इस बार भी ऐसा हो रहा है. बिहार में इस बार भी संयुक्त प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी नालंदा खुला विश्वविद्यालय को दी गई है.
हालांकि पिछली बार नतीजे आने के बाद विवाद हो गया था. दरअसल लगभग 700 छात्र जिन्होंने प्रवेश परीक्षा दी थी, उनका दाखिला नहीं हो सका था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने का दावा किया जा रहा है. परीक्षा के लिए नियुक्त किए नोडल ऑफिसर एसपी सिन्हा के अनुसार जो भी छात्र संयुक्त प्रवेश परीक्षा के नतीजों के बाद पास होंगे उन्हें हर हाल में दाखिला दिया जाएगा.
इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से जरूरी निर्देश दिए गए हैं. मिली जानकारी के मुताबिक संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बिहार के सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज शामिल होंगे. पिछली बार 34 हजार सीटों के लिए परीक्षा हुई थी और इस बार भी इतनी सीटें रहने की संभावना हैं
राज्य की सभी यूनिवर्सिटी से संबंधित निजी, अंगीभूत,अल्पसंख्यक कॉलेजों की संख्या 340 है. पटना यूनिवर्सिटी भी परीक्षा में शामिल है. आपको बता दें कि 10 मार्च को बीएड की परीक्षा और 1 जुलाई से सत्र शुरू होने की संभावना जताई जा रही है.
पिछली बार की तुलना में इस बार काफी पहले बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा ली जा रही है. दरअसल लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई महीने में होने है. लिहाजा बीएड की परीक्षा पहले कराने का फैसला किया गया है.
यह परीक्षा कुल 120 अंकों के लिए होगी जिसमें जनरल इंगिल्श कैंपिहेन्सन और सामान्य हिंदी से 15-15 प्रश्न होंगे. लॉजिकल एंड एनालिटिकल रिजनिंग से 25, सामान्य ज्ञान से 40 और टीचिंग-लनर्गिं एनवायरमेंट स्कूल से 25 प्रश्न पूछे जाएंगे.
बीएड के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा का छात्र और छात्राएं स्वागत कर रहे हैं. उनके मुताबिक जहां संयुक्त प्रवेश परीक्षा होने से अभ्यर्थियों के सामने विकल्प ज्यादा रहेंगे वहीं नतीजे भी कदाचार मुक्त होंगे.