Kargil ke Hero: बोफोर्स तोप हो गया था खराब, लेकिन दुश्मन पर हमला करता रहा जवान, पढ़िए कहानी नागेश्वर महतो की
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Kargil ke Hero: बोफोर्स तोप हो गया था खराब, लेकिन दुश्मन पर हमला करता रहा जवान, पढ़िए कहानी नागेश्वर महतो की

Kargil Vijay Diwas 2024: साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान कई जवान शहीद हुए थे. इस कारगिल युद्ध में झारखंड के लाल स्वर्गीय भुनेश्वर महतो एवं माता श्रीमती बुधनी देवी के पुत्र नागेश्वर महतो को भी आपनी जान की आहुति देनी पर गयी.

Kargil ke Hero: बोफोर्स तोप हो गया था खराब, लेकिन दुश्मन पर हमला करता रहा जवान, पढ़िए कहानी नागेश्वर महतो की

Kargil Vijay Diwas: साल 1999 में कारगिल युद्ध के समय भारत माता के लिए सैकड़ों जाबांजों ने अपनी जान त्याग कर दी. इस युद्ध में रांची के पिठोरिया निवासी पिता स्वर्गीय भुनेश्वर महतो एवं माता श्रीमती बुधनी देवी के पुत्र नागेश्वर महतो कि भी शहादत हुई थी. शहीद नागेश्वर महतो का जन्म कांके स्थित इंडियन वाटर लाइन में साल 1961 में हुआ. इनके पिता स्वर्गीय भुनेश्वर महतो एवं माता श्रीमती बुधनी देवी थे. परिवार में 5 भाई और एक बहन थी. शहीद नागेश्वर महतो भाइयों में चौथे स्थान पर थे और उनका पालन पोषण भी  वाटर लाइन के क्वार्टर में ही हुआ था. उनकी प्रारंभिक एजुकेशन कांके स्थित संत जेवियर स्कूल से हुई थी. साल 1979 में मैट्रिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने रांची में आईटीआई का कोर्स किया. तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही रांची में सेना की बहाली में इनका चयन हो गया. दिनांक 29.10.1980 को वो सेना में भर्ती हुए और देश की सेवा में लग गए. 

अमर नागेश्वर महतो ने देश का नाम किया रोशन
शहीद नागेश्वर महतो सेना में भर्ती होने के बाद उन्हें ईएमई (EME) कोर्स के बेसिक ट्रेनिंग के लिए भोपाल भेजा गया. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद इनका तबादला श्रीनगर हो गया. इसके बाद 1986 में इनका तबादला रांची के दीपाटोली में हुआ. नागेश्वर महतो ने 10 मई 1986 को अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत संध्या देवी के साथ की. इसके बाद सन् 1989 में उनका हैदराबाद तबादला हो गया. नागेश्वर महतो को फोर्स की तरफ से एचएमटी कोर्स के लिए बरौदा भी भेजा गया. कोर्स क्वालीफाई होने के बाद इन्हें एचएमटी की पदोन्नति देकर कलिंग भेज दिया गया. कलिंग में भी नागेश्वर महतो ने अपने कर्तव्य को ईश्वर की पूजा के समान की तरह निभाया. इसके बाद 1996 में उनका तबादला 79 फील्ड राइट झांसी में हुआ. झांसी में तबादला होने के बाद पदोन्नति के साथ नागेश्वर महतो नायब सूबेदार बन गए. इस पदोन्नति के बाद नागेश्वर महतो बोफोर्स तोप के मेकेनिकल के रूप में चयनित हुए. फरवरी 1999 में इनको बोफोर्स टॉप एम्युनिशन ट्रायल के लिए राजस्थान भेजा गया, जिसमें विदेश के 3 सदस्य भी शामिल रहे. वहां उनकी कार्यकुशलता की विदेशी टीम ने बेहद तारीफ की.

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यह सपूत भारत माता पर अपनी दी आहुति 
इसके बाद अप्रैल 1999 में उनका 108 मध्यम रेजिमेंट नौशेरा में तबादला हो गया. इस दौरान भारत पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध शुरू हो गया, जिसमें इन्हें बोफोर्स तोप पर तैनात किया गया. युद्ध के दौरान लगातार हो रही फायरिंग के बाद बोफोर्स तोप में कुछ तकनीकी खराबी होने के बावजूद भी वह दुश्मन पर हमला जारी रखने के लिए नागेश्वर महतो तोप को ठीक करने में जुटे थे. तभी 13 जून 1999 को दोपहर के वक्त दुश्मन के गोले का स्प्रिंटर जांबाज नागेश्वर के पूरे शरीर में आ समाई. इस दिन रविवार का दिन था और उस वक्त दोपहर के 3:00 बज रहे थे. रांची का यह सपूत भारत माता पर अपनी आहुति दे चुका था.

नागेश्वर महतो की अमर गाथा आज तक लोगों की जुबां पर याद
झारखंड के लाल शहीद वीर नागेश्वर महतो की अमर गाथा आज तक लोगों की जुबां पर याद है हर युवा उनके जज्बे को सलाम करते हुए देश की सेवा में खुद को अर्पित करने को निछावर है. झारखंड की मिट्टी के लाल शहीद नागेश्वर महतो 13 जून 1999 को हमेशा हमेशा के लिए भारत माता की गोद में समा गए लेकिन उनकी वीरगाथा आज अमर हो गई है. चाहे उनके पैतृक गांव हो या फिर समूचा झारखंड उनकी वीरगाथा कि हर तरफ कसमें खाई जाती है। ऐसे थे झारखंड के पिठोरिया निवासी शहीद वीर नागेश्वर महतो. 

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रिपोर्ट: कामरान जलीली