जब राज्यसभा सांसद नियुक्त हो रहे थे तो रामविलास पासवान तब उनकी चाहत थी कि नीतीश कुमार भी अपनी हामी भरें, लेकिन नीतीश कुमार को बहुत मनाने के बाद वे साथ आए.
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नेहा कुमारी, नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhansabha election) के ऐलान के साथ ही एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा(JP Nadda) से कई बार मुलाकात की. साथ ही गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हुई. इसके बावजूद एनडीए से एलजेपी बिहार में अलग क्यों हुई इसकी पूरी वजह इस चिट्ठी में है. यह चिट्ठी 24 सितंबर को चिराग पासवान ने जेपी नड्डा को लिखी थी. इस चिट्ठी में वह तमाम बातें हैं जिसको लेकर लगातार जेडीयू और एलजेपी में तकरार बरकरार रही.
चिट्ठी की अहम बातें:
-लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए की बैठक में यह तय किया गया था कि एलजेपी को 7 सीटें मिलेंगी, लेकिन सिर्फ 6 सीटें मिली. इसलिए क्योंकि यह तय किया गया कि रामविलास पासवान को भारतीय जनता पार्टी के कोटे से राज्यसभा सांसद बनाया जाएगा. जब राज्यसभा सांसद नियुक्त हो रहे थे तो रामविलास पासवान तब उनकी चाहत थी कि नीतीश कुमार भी अपनी हामी भरें, लेकिन नीतीश कुमार को बहुत मनाने के बाद वे साथ आए.
- चिट्टी में यह भी लिखा था कि जब बिहार में मंत्रिमंडल गठन हो रहा था तो एलजेपी ने कहा कि उनके विधायकों में से किसी एक को मंत्रिमंडल में जगह मिले. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जवाब दिया कि अगर आपके परिवार से कोई होता तो मैं जरूर मंत्री बनाता. आप क्यों ठाकुर, ब्राह्मण, भूमिहार को मंत्री बनाना चाहते हैं.
- भारतीय जनता पार्टी का जिस तरीके से विस्तार हुआ है, बिहार में उस पर उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी चाहे तो अपने मुख्यमंत्री को वह नामित कर सकती है. फिर क्या जरूरत है नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की.
- जिस तरीके से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रामविलास पासवान की तबीयत को लेकर बातें बोली वह पार्टी के सम्मान के लिहाज से सही नहीं था. गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आपने लगातार पिताजी की हालत जानी है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरीके से मीडिया में बयान दिया कि उनको कुछ पता नहीं है. यह असंवेदनशील है.
- चिराग पासवान ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार महागठबंधन यानी आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू के द्वारा बनाए गए एजेंडे पर काम कर रही है. लॉकडाउन के समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि किसी भी बिहारी को बिहार की सीमा में नहीं लिया जाएगा जो निंदनीय है.
- आगे चिट्ठी में यह भी लिखा था कि बिहार में बाढ़ की स्थिति भयावह बनी, लेकिन 15 साल सत्ता में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर कुछ नहीं किया है. कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाने के कारण हर बिहारी के तरफ से यह सवाल है कि आखिर मुख्यमंत्री ने क्यों कोई व्यवस्था नहीं की.
नीतीश के खिलाफ लहर से एनडीए को नुकसान
इस चिट्ठी में साफ तौर पर चिराग पासवान ने कहा है कि नीतीश कुमार के खिलाफ एक लहर है जिससे एनडीए हार सकती है. बिहार में भारतीय जनता पार्टी आज की तारीख में इतनी सक्षम है कि यदि वह अपने मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़े तो एनडीए का प्रदर्शन बेहतर रहेगा.
क्यों नहीं रह सके जेडीयू के साथ?
24 सितंबर को लिखी चिट्ठी में चिराग पासवान ने लिखा है कि अब तक भारतीय जनता पार्टी के किसी भी नेता से सीट शेयरिंग पर कोई बातचीत नहीं हुई है. साथ ही इस चिट्ठी में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' विजन डॉक्यूमेंट को भी शामिल किया जाए.
साथ ही इस चिट्ठी में चिराग पासवान ने लिखा है कि मुझे मेरे हक की सीटें चाहिए थीं. सीटों पर कोई तार्किक फैसला नहीं हो सका, इसलिए हम एनडीए में जेडीयू के साथ नहीं रह सके. इस चिट्ठी में जेडीयू नेताओं के द्वारा चिराग पासवान को कालिदास कहना, दलाल कहना, नाक मुंह तोड़ने की धमकी देना जैसी शिकायत भी शामिल हैं.
साथ ही अंत में चिराग पासवान ने लिखा है कि अगर इस विधानसभा चुनाव में बिहार गठबंधन में अगर एलजेपी की वजह से कोई समस्या आती है तो एलजेपी को एनडीए गठबंधन से बिहार में मुक्त कर दिया जाए.