लोकसभा चुनाव : हाजीपुर की जनता ने 8 बार रामविलास पासवान को सांसद बनाया
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लोकसभा चुनाव : हाजीपुर की जनता ने 8 बार रामविलास पासवान को सांसद बनाया

हाजीपुर में पार्टी के नाम से बड़ा रामविलास पासवान का कद है. यही वजह है कि यहां की जनता ने सबसे बड़ी जीत का तोहफा भी रामविलास पासवान को दिया.

977 में रामविलास पासवान पहली बार सांसद चुने गए.

हाजीपुर : बिहार के हाजीपुर का मालभोग केला पूरे देश में प्रसिद्ध है. प्रकृति ने भी हाजीपुर को संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी. एक तरफ गंडक की धार है तो वहीं दूसरी तरफ दूर-दूर तक गंगा फैली हुई है. दोनों ही नदियों के किनारे पर केले की कई किस्मों की खेती है, जिससे लाखों किसानों की रोजी रोटी जुड़ी हुई है. हाजीपुर के केले की यहां की सियासत से भी गहरा नाता है.

हाजीपुर बिहार की सियासत का एक बड़ा केंद्र रहा है. हाजीपुर, समाजवादियों की प्रयोगभूमि रही है. मौजूदा समय में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और हाजीपुर एक दूसरे के पर्याय बने हुए हैं. रामविलास पासवान यहां से एक दो बार नहीं कुल आठ बार सांसद चुने गए हैं. 1977 में रामविलास पासवान पहली बार सांसद चुने गए. शुरुआत जनता पार्टी से हुई, फिर जनता दल और 2014 में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से सांसद चुने गए.

हाजीपुर में पार्टी के नाम से बड़ा रामविलास पासवान का कद है. यही वजह है कि यहां की जनता ने सबसे बड़ी जीत का तोहफा भी रामविलास पासवान को दिया. रामविलास पासवान ने भी विकास की दौड़ में पिछड़े हाजीपुर को हर संभव बेहतर बनाने की कोशिश की. जनता की उम्मीदों पर वह खरे होते गए और उन्हें जीत मिलती गई.

हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा हैं. हाजीपुर विधानसभा से भारतीय जनता पार्ट (बीजेपी), लालगंज से एलजेपी और महनार से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के विधायक हैं. वहीं, राघोपुर, राजापाकड़ और महुआ विधानसभा राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पास है. रामविलास पासवान का हाजीपुर से खास लगाव रहा है.

2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान को कुल चार लाख 54 हजार वोट मिले थे. जबकि दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के संजीव प्रसाद टोनी को दो लाख 29 हजार और जेडीयू के रामसुंदर दास को 95 हजार 700 वोट मिले थे.

हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र पर लालू परिवार का भी दबदबा है. लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव महुआ से विधायक हैं. जबकि छोटे बेटे तेजस्वी राघोपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं. एनडीए के लिए यहां मुश्किल यह है कि रामविलास पासवान ने इसबार हाजीपुर के अखाड़े में बतौर पहलवान नहीं उतरेने का एलान कर दिया है, लेकिन वह कोच की भूमिका में जरूर होंगे. लेकिन रामविलास पासवान के बगैर हाजीपुर का दंगल मजेदार होगा.

रामविलास पासवान 1969 में पहली बार विधायक चुने गए. 1977 में हाजीपुर से पहली बार लोकसभा पहुंचे. रामविलास जेपी आंदोलन में भी शामिल रहे हैं. वह तीन दशक तक केंद्र में मंत्री रहे. इस दौरान उन्हें छह प्रधानमंत्री के साथ काम करने का मौका मिला. वीपी सिंह के कार्यकाल में श्रम मंत्री रहे. वहीं, देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रेल मंत्री बने. संचार और आईटी मंत्री के साथ-साथ खान मंत्री भी रह चुके हैं. इसके बाद उन्होंने रसायन, उर्वरक और इस्पात मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली. मोदी सरकार में फिलहाल केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री हैं.

खेती के साथ-साथ हाजीपुर एक व्यवसायिक केंद्र भी है. हाजीपुर में रेलवे का जोनल ऑफिस है. पूर्व मध्य रेलवे जोन का मुख्यालय भी है. नाइपर और सिपेट जैसे संस्थान हैं, वहीं इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट भी है. संचार मंत्री रहते हुए रामविलास पासवान ने यहां दूरभाष केंद्र भी खुलवाया.

रामविलास पासवान से लोगों को शिकायत भी है. कई लोगों का कहना है कि वो पहले की तरह क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं. हाजीपुर में बिजली में काफी सुधार हुआ है. गांव में भी 20 से 22 घंटे बिजली रहने लगी है. वहीं, सड़क के क्षेत्र में भी ठीक ठाक काम हुए हैं.

रामविलास पासवान के कामकाज से कहीं नाराजगी है तो कहीं लोग खुश हैं, जिससे पता चलता है कि इस बार मुकाबला कांटे का होगा. इस इलाके में उपेंद्र कुशवाहा की भी पकड़ ठीकठाक है, जिसका फायदा महागठबंधन को मिल सकता है. यहां कि जनता को रामविलास पासवान की कमी जरूर महसूस होगी, जो कई दशकों के बाद हाजीपुर की सियासत के नेपथ्य में होंगे.

रामविलास पासवान का हाजीपुर में उत्तराधिकारी कौन होगा, इसकी तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पाई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि पासवान के छोटे भाई और बिहार सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया जा सकता है. वहीं, कुछ लोग पासवान की पत्नी रीना पासवान की भी दावेदारी की संभावना जता रहे हैं. महागठबंधन में भी टिकट के कई दावेदार हैं. इनमें पूर्व विधायक शिवचंद्र राम का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है वहीं, आरएलएसपी की नजर भी इस सीट पर है.