इस मामले में लालू प्रसाद यादव और हेमंत सोरेन से पीछे रह गए अरविंद केजरीवाल, क्या पूरी होगी `वर्क फ्रॉम जेल` की मंशा?
Delhi Liqour Case: अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीतिक शुरुआत के समय जिन नेताओं का सबसे अधिक नाम लेते थे, उनमें लालू प्रसाद यादव का भी नाम शामिल है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लालू प्रसाद यादव भी नैतिकता के मामले में अरविंद केजरीवाल से आगे निकल गए हैं. और लालू प्रसाद ही नहीं, बल्कि झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन भी इस मामले में उनसे काफी आगे चले गए हैं.
Akvind Kejriwal Delhi Liqour Case: दिल्ली के शराब घोटाले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 15 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. सोमवार को अरविंद केजरीवाल की ईडी रिमांड खत्म हो रही थी. जेल जाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है. इस तरह नैतिकता के मामले में केजरीवाल बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन, तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे. जयललिता, मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती आदि नेताओं से पीछे छूट गए हैं. हालांकि अरविंद केजरीवाल जब राजनीति में आए थे तो कहा करते थे कि आरोप लगते ही किसी भी नेता का इस्तीफा होना चाहिए और उसके बाद जांच होनी चाहिए. अब जबकि मुख्यमंत्री खुद जेल चले गए हैं तो भी वे इस्तीफा देने को तैयार नहीं हैं. उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने एक दिन पहले रामलीला मैदान से ऐलान किया था कि अरविंद केजरीवाल कभी इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि वे असली शेर हैं. जाहिर है, अरविंद केजरीवाल की मंशा वर्क फ्रॉम जेल की है तो देखना होगा कि कितने दिनों तक मुख्यमंत्री के जेल में रहते दिल्ली आगे चल सकती है.
अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीतिक शुरुआत के समय जिन नेताओं का सबसे अधिक नाम लेते थे, उनमें लालू प्रसाद यादव का भी नाम शामिल है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लालू प्रसाद यादव भी नैतिकता के मामले में अरविंद केजरीवाल से आगे निकल गए हैं. और लालू प्रसाद ही नहीं, बल्कि झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन भी इस मामले में उनसे काफी आगे चले गए हैं. लालू प्रसाद यादव को जब लग गया था कि उनका जेल जाने से बचना नामुमकिन है तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
इसी तरह कुछ दिनों पहले ही जब झारखंड में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी, तब हेमंत सोरेन ने पहले अपने पद से इस्तीफा दिया था और उसके बाद ईडी ने सोरेन को गिरफ्तार किया था. दूसरी ओर, अरविंद केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाने के लिए अड़े हुए हैं. उधर, दिल्ली के उपराज्यपाल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं और जैसे ही उनको लगेगा कि दिल्ली की सरकार में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो रही है तो वे इसमें दखल देंगे.
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चारा घोटाले में जब यह स्पष्ट हो गया था कि लालू प्रसाद यादव को जेल जाना ही होगा तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. पहले उन्होंने विधायक दल की बैठक बुलाई और खुद ही मुख्यमंत्री का पद छोड़ने का ऐलान कर दिया. बैठक के बीच ही तब के राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह, राबड़ी देवी के साथ वहां पहुंचे थे. उस बैठक में लालू प्रसाद यादव ने पत्नी राबड़ी देवी को विधायक दल का नेता और खुद के उत्तराधिकारी के रूप में पेश कर दिया.
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इस तरह रातोंरात बिहार को ऐसी महिला मुख्यमंत्री मिली, जो एक दिन पहले तक रसोई का काम संभालती थीं. राबड़ी देवी का पहला कार्यकाल 25 जुलाई 1997 से शुरू होकर 11 फरवरी 1999 तक, दूसरा कार्यकाल 9 मार्च 1999 से शुरू होकर 2 मार्च 2000 तक और तीसरा कार्यकाल 11 मार्च 2000 से 6 मार्च 2005 तक रहा. इस तरह लालू प्रसाद यादव ने भले ही पद से त्यागपत्र दे दिया पर जेल में रहते सत्ता की बागडोर अप्रत्यक्ष रूप से खुद ही संभालकर रखी थी.